ADVERTISEMENTREMOVE AD

अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पांचवें दिन क्या-क्या हुआ

हिंदू पक्षकारों ने अपने पक्ष में कहा कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर पांचवें दिन 13 अगस्त को इस मुद्दे पर बहस हुई कि क्या पहले यहां कोई मंदिर था. रामलला विराजमान की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने कहा, इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन जस्टिस की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि विवादित जगह पर मंदिर था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

हिंदू पक्षकारों ने अपने पक्ष में कहा कि मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया. उन्होंने कहा कि इस तरह से देवता और मंदिर के मालिक को वंचित नहीं किया जा सकता है. कार्यवाही के दौरान मुस्लिम पक्षकारों ने इस बार पर आपत्ति जताई, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया.

एडवोकेट वैद्यनाथन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को हवाला देते हुए कहा कि एक जस्टिस ने भगवान राम की जन्मभूमि को मस्जिद के केंद्रीय गुंबद तक सीमित कर दिया. उन्होंने एक नक्शे के जरिए भक्तों का पूजा करने हेतु 'परिक्रमा' के रास्ते की पहचान की. विद्यानाथन ने दलील दी इसलिए परिक्रमा रास्ते के अंदर आने वाला क्षेत्र भी भगवान का है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की तीन सदस्य पीठ ने भी अपने फैसले में माना है कि विवादित स्थान पर पहले मंदिर था. जस्टिस एसयू खान ने इस बात की पहचान की थी कि मंदिर के खंडहर पर मस्जिद का निर्माण किया गया था. इसलिए हम कह सकते हैं कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी.
वैद्यनाथन, वकील, राम लल्ला

इससे पहले, राम लला विराजमान की ओर से ही सीनियर एडवोकेट के परासरन ने पीठ से कहा कि उसे अपने समक्ष आए सभी मामलों में पूर्ण न्याय करना चाहिए. संविधान पीठ ने पिछले शुक्रवार को परासरन से जानना चाहा था कि क्या ‘रघुवंश’ राजघराने से कोई अभी भी वहां (अयोध्या) में रहता है.

परासरन तत्काल इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे सके, लेकिन जयपुर राजघराने की पूर्व राजकुमारी और बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने दावा किया कि उनका परिवार भगवान राम के बेट कुश के वंश से है.

बता दें, सुप्रीम कोर्ट इस समय अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित जमीन के तीनों पक्षकारों (सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला) के बीच बराबर-बराबर बांटने का निर्देश देने संबंधी हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही है. इस विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने में सफलता नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त से इसकी रोजाना सुनवाई कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट के सितंबर, 2010 फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय संविधान पीठ में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×