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SeculaRhythm: स्वामी विवेकानंद से प्रेरित बाबर अली 20 साल से सिखा रहे भाईचारा

Independence Day: बाबर अली कहते हैं, छात्रों को यह सिखाने में हर शिक्षक की भूमिका होती है कि हम समान हैं.

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भारत
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) के मुर्शिदाबाद के सुदूर इलाके में स्थित, आनंद शिक्षा निकेतन न केवल गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देता है, बल्कि धार्मिक विभेद को भी पाटता है. जिन बच्चों को परिवार के लिए कमाने के लिए नौकरी में झोंक दिया गया था, वे आज यहां पढाई कर रहे हैं. यह कहानी दुनिया के सबसे युवा प्रधानाध्यापक बाबर अली की है. युवा प्रधानाध्यापक बाबर अली कहते हैं-

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"छात्रों को यह सिखाने में हर शिक्षक की भूमिका होती है कि हम समान हैं. हमारी पहली पहचान यह है कि हम इंसान हैं."

नन्हा ऑरित्रो स्कूल जाने की हड़बड़ी में है और दो गली दूर शाहीन को भी स्कूल जाने की जल्दी है. स्कूल की घंटी सुबह 7 बजे बजती है.ऑरित्रो और शाहीन 18 घंटे बाद मिल रहे हैं. दोनों दोस्त आनंद शिक्षा निकेतन के स्टूडेंट हैं. ये स्कूल नहीं बल्कि बाबर अली की सोच है. जहां कमजोर तबके के बच्चों को सिर्फ फ्री शिक्षा ही नहीं, बल्कि धर्मों के बीच खाई को भी पाटने की कोशिश की जाती है. जैसे की ऑरित्रो और शाहीन के बीच पाटी गई है.

आनंद शिक्षा निकेतन के संस्थापक और हेडमास्टर बाबर अली ने क्विंट को बताया कि हर शिक्षक की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों को बताए कि हम सब बराबर हैं. हम में कोई फर्क नहीं है. हमें एक दूसरे की इज्जत करनी चाहिए. दूसरों को भी शिक्षा देने के जुनून में बाबर अली ने 9 साल की उम्र से ही पढ़ाना शुरू कर दिया.

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दुनिया के सबसे उम्र के हेडमास्टर

बाबर अली ने बताया कि कई लोगों ने मुझे हतोत्साहित किया, लेकिन पढ़ने और पढ़ाने में मेरी लगन थी. प्यार से पढ़ाना मुझे पसंद है क्योंकि ये मेरे दिल से निकलता है. 2009 में बीबीसी ने बाबर अली को 'दुनिया का सबसे उम्र का हेडमास्टर' बताया है.

बाबर अली कहते हैं कि मानवता की सेवा ही भगवान की सेवा है. एक दिन मैं स्थानीय रामकृष्ण मिशन में गया. मैं उस समय के मुख्य भिक्षु से मिला उन्होंने मुझे स्वामी विवेकानंद की एक किताब दी. उन्होंने मुझसे कहा कि इसे रोज कम से कम 5 मिनट जरूर पढ़ना.

बाबर अली ने अपने पड़ोस में 8 बच्चों से स्कूल शुरू किया

बाबर अली ने बताया कि स्वामी विवेकानंद से प्रेरित होकर मैंने अपने पड़ोस में 8 बच्चों से स्कूल शुरू किया. जब मैंने अपना मिशन शुरू किया तो गांव के बुजुर्ग मेरा मकसद नहीं समझ पाए. मैं ये क्यों कर रहा हूं? क्योंकि उनके बच्चे काम में उनकी मदद करते थे. वो भी अपने घर के लिए कुछ कमाते थे. जब मैं उन्हें स्कूल भेजने के लिए मनाता था तो उनका पहला सवाल होता था. शिक्षा का महत्व क्या है? खासकर उनके लिए जो दो वक्त की रोटी नहीं जुटा पाते?

लड़कियों के बारे में कहते थे कि पढ़ गईं तो सही दूल्हा नहीं मिलेगा. उस वक्त कम उम्र में शादी कर दी जाती थी. दूसरी तरफ बहुत से लोग थे ,जो हतोत्साहित करते थे. जलते थे. पूर्वाग्रह से ग्रसित थे. मैंने कई तरह की समस्याएं झेली हैं. आप जानते हैं कि दूर दराज के इलाके में स्कूल चलाना आसान काम नहीं है. सरकार से कोई मदद नहीं मिलती.

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देश भर में आपकी तरह के लोग हमारी मदद कर रहे हैं. इसलिए ये मुमकिन हो पाया. मैंने कई तरह की समस्याएं झेली हैं और अब भी झेल रहा हूं. स्कूल में बच्चों को मुफ्त शिक्षा, ड्रेस, बस्ता और खाना मिलता है.

बाबर अली के स्कूल से अब तक 8000 बच्चे पढ़ चुके हैं 

बाबर अली के स्कूल से अब तक 8000 बच्चे पढ़ चुके हैं. वो बताते हैं कि हमारी पहली पहचान है कि हम सब इंसान हैं. हमें ये संस्कार बच्चों को सिखाना चाहिए. 3H का विकास जरूरी है- हेड, हैंड और हार्ट फिर धर्म के कारण पैदा होने वाली समस्याएं नहीं होंगी.

बाबर अली बताते हैं कि यहां होती है मस्ती के साथ पढ़ाई. लड़कियों पर ज्यादा फोकस करने वाले आनंद शिक्षा निकेतन को 20 साल हो चुके हैं.

मैंने आपको बताया कि जब मैंने स्कूल शुरू किया तो लोग लड़कियों को स्कूल भेजने से कतराते थे. आज हमारे स्कूल में 60% लड़कियां हैं. लड़कियों की शिक्षा जरूरी है क्योंकि वो समाज बदल सकती हैं. वो हमारे समाज को बदलने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं.

बाबर ने बताया कि संस्कारों वाली शिक्षा देकर यहां बाबर बच्चों को स्कूल से बाहर की दुनिया के लिए तैयार करते हैं. इसके बिना आप आदर्श स्टूडेंट या इंसान नहीं बन सकते. स्कूल से पहले माता-पिता और समाज को सिखाना चाहिए कि सब बराबर हैं कोई बड़ा या छोटा नहीं है. हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए. एक दूसरे की इज्जत करनी चाहिए, हमें एक दूसरे को प्यार करना चाहिए. और हां, भारत अनेकता में एकता वाला देश है इसको बनाए रखना चाहिए.

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