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SeculaRhythm: कन्हैया-अशरफ अली की कहानी,दो अनजान कैसे बन गए किडनी ब्रदर्स?

ये सिर्फ एक कहानी नहीं है. ये सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है.

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“कहां हैं भगवान, कहां हैं अल्लाह और कहां हैं ईसा मसीह? हमें तो जिंदगी अशरफ अली से मिली. जब भगवान का दरवाजा बंद हो गया, जब हमारी दुआ नाकाम हो गई, तब अशरफ अली भगवान के रूप में आए”

ये कहना है पश्चिम बंगाल के रहने वाले कन्हैया का. कन्हैया की दोनों किडनी फेल हो गई थी. डॉक्टर ने उनसे कहा था कि एक किडनी मिल जाए तो आपको जिंदगी मिल सकती है. उसके बाद कन्हैया ने किडनी के लिए बहुत संपर्क किया, लेकिन उन्हें कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दी. तभी, अशरफ अली की उनसे मुलाकात हुई और अशरफ ने अपनी किडनी देने की पेशकश कर दी.

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ये सिर्फ एक कहानी नहीं है. ये सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की मिसाल है. कन्हैया बताते हैं कि मैंने 1.5 साल तक किडनी डोनर की खोज की, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखाई दे रही थी. इस वक्त तक मैंने 234 डायलिसिस सेशन ले चुका था. जब मैं डायलिसिस करा के लौट रहा था. इसी वक्त बस में अशरफ मिल गए. इन दोनों की पहली मुलाकात इसी दिन बस में हुई थी. कन्हैया को बीमार देख अशरफ ने उनका हालचाल पूछा तो कन्हैया ने सारी बातें बता दीं. जिसे सुनकर अशरफ अली ने तुरंत कन्हैया को किडनी देने की पेशकश कर दी.

हम सारी उम्मीद खो चुके थे, इसी वक्त अशरफ ने जब किडनी देने की पेशकश की तो मुझे लगा कि मेरे सामने भगवान खड़े हैं. मेरे पास अपनी दोस्ती को बयां करने के लिए शब्द नहीं हैं. मुझे एक नई जिंदगी मिली, क्योंकि उन्होंने मुझे अपनी किडनी दी. वो मेरे लिए भगवान जैसे हैं. उन्होंने अपने शरीर का एक हिस्सा मुझे दे दिया ताकि मैं जी सकूं. उन्होंने जो किया वो दोस्ती में भी कोई नहीं करता.
कन्हैया
कन्हैया को किडनी डोनेट करने के बाद अशरफ मेदिनीपुर के अपने गांव रामनगर लौट गए थे और ऑपरेश के बाद कन्हैयालाल कोलकाता में रिकवर कर रहे हैं.
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मैंने उनको किडनी देने का फैसला किया क्योंकि, मुझे तकलीफ हुई जब मैंने सुना कि वो अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं. मुझे लगा कि अगर मेरा भाई होता और मुझे ऐसी तकलीफ होती तो वो भी मुझे बचाने के लिए ऐसा ही करता. मैं पूरे मन से इस्लाम को मानता हूं जो सिखाता है कि हमें जरूरतमंदों की मदद करनी चाहिए.
अशरफ अली

अप्रैल 2020 में ऑपरेशन के बाद जब दोनों पहली बार मिले तो कन्हैया ने अशरफ से कहा कि मेरे लिए तो आप ही भगवान हैं. कन्हैया ने कहा कि जब भगवान का दरवाजा बंद हो गया, जब हमारी दुआ नाकाम हो गई, तब अशरफ मदद के लिए आए और मुझे जिंदगी दी. कन्हैया ने कहा कि हिंदू-मुस्लिम करने के लिए नहीं, बल्कि एक इंसान दूसरे इंसान को बचाने के लिए आगे आए.

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