6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) को ढहा दिया गया था. अयोध्या (Ayodhya) में 7 दिसंबर की सुबह को रजिया खातून अपने सालों पुराने पड़ोसी पराग यादव के घर पहुंची. बाबरी मस्जिद ढहने के साथ ही देशभर में हिन्दू-मुस्लिम दंगे शुरू हो गए थे. बाबरी मस्जिद के साथ-साथ इस देश के सालों पुरानी सेकुलरिज्म की नींव भी हिल रही थी.
लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसी कहानियां थीं, जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और इस देश के सेकुलरिज्म को बचाए रखा. अयोध्या से हिन्दू-मुस्लिम एकता की एक ऐसी ही कहानी हम आपके बीच लेकर आएं हैं. यह कहानी है मुस्लिम महिला रजिया खातून और उनके हिन्दू पड़ोसी पराग यादव की. उस दिन को याद करते हुए रजिया खातून बताती हैं-
उस दिन को याद करते हुए रजिया खातून बताती हैं कि सुबह जय श्री राम चिल्लाते हुए लोग उनके पीछे थे. इस बीच वह भागते हुए पराग लाल यादव के घर पहुंची. उनसे मदद मांगी. रजिया ने पराग लाल यादव को बताया कि वह उनका घर भी जला देंगे.
उस वक्त पराग लाल यादव ने तमाम धमकियों और खतरों के बावजूद रजिया को अपने घर में दो दिनों तक छुपाकर रखा. उन्हें पनाह दी. रजिया खातून उन दिनों को याद करते हुए बताती हैं कि उन लोगों की पराग लाल यादव के घर में घुसने की हिम्मत नहीं हुई.
“बाबरी मस्जिद को एक रात पहले ध्वस्त कर दिया गया था. अगली सुबह, मैंने सुना कि कार सेवक हमारे इलाके में हैं. हिंसा हुई थी, इसलिए मैं अपनी मां को ले गई, जो तब तक व्हीलचेयर पर थीं. मैं अपने पड़ोसी के घर शरण लेने चली गई.”रजिया खातून
पराग यादव के बड़े बेटे अजय यादव कहते हैं कि कुछ लोगों ने कहा इन लोगों ने मुसलमानों की मदद की. लोगों ने तरह-तरह की बातें कीं लेकिन उन्हें उसकी परवाह नहीं थी, क्योंकि एक मानवता और दूसरा संबंध. दोनों को उन्हें निभाना था. पराग यादव अपनी मां को याद करते हुए बतातें है कि उनकी मां कहती थीं कि चाहे तुम लोगों को कुछ हो जाए, लेकिन रजिया को कुछ नहीं होना चाहिए.
7 दिसंबर को पराग यादव ने सिर्फ रजिया और उनकी मां की ही जान नहीं बचाई थी, बल्कि उन्होंने उस दिन कम से कम 8 मुसलमानों की जान बचाई थी. अयोध्या में कम से कम तब 17 लोग मारे गए थे. पराग लाल यादव उस वक्त नजदीक के एक पार्क में गार्ड के पद पर तैनात थे. रजिया के अलावा पराग यादव ने उस दिन एक बीजेपी समर्थक हसन हैदर के भी परिवार की जान बचाई थी.
रजिया खातून की बेटी नाज बानो कहती हैं कि उस वक्त यह लोग भगवान का रूप थे. कार सेवक उस वक्त जान से मारने की धमकी दे रहे थे. कोई अपनी जान पर खेलकर ऐसे किसी को बचा लेगा? लेकिन इन लोगों ने ऐसा किया. नाज बानो कहती हैं बुरे लोग इसलिए होते हैं, ताकि वो आपको सतायें और अच्छे लोग इसलिए होते है ताकि वह आपको बचाएं.
बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के 30 साल बाद भी पराग और रजिया पड़ोसी ही हैं. यह उनकी कहानी है.
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