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लक्षद्वीप की एक्टिविस्ट आइशा सुल्ताना पर सेडिशन का केस

बहस में आइशा सुल्ताना ने कहा कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल एक बायोवेपन की तरह कर रही है

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भारत
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लक्षद्वीप पुलिस ने 10 जून को स्थानीय नागरिक, फिल्ममेकर और एक्टिविस्ट आइशा सुल्ताना (Aisha Sultana) पर सेडिशन का केस दर्ज कर लिया है. आइशा ने केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक प्रफुल्ल के पटेल को केंद्र सरकार का बायोवेपन कहा था जो लक्षद्वीप पर इस्तेमाल किया गया है. ये मामला लक्षद्वीप बीजेपी के प्रमुख सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर कावारत्ती पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया है.

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एक्टिविस्ट आइशा सुल्ताना पर सेडिशन लगाकर भारतीय दंड संहिता की धारा 124 A के तहत मामला दर्ज किया गया है.

टीवी डिबेट के बीच दी थी विवादित टिप्पणी

कादर की शिकायत ‘MediaOne TV’ पर हाल में हुई एक डिबेट पर आधारित थी. ये डिबेट लक्षद्वीप में हाल में हुए कानूनी बदलावों को लेकर आयोजित की गई थी. इसी बहस में आइशा ने कहा कि केंद्र सरकार लक्षद्वीप में प्रफुल्ल पटेल का इस्तेमाल एक बायोवेपन की तरह कर रही है. इस बयान के बाद लक्षद्वीप बीजेपी ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किए. बीजेपी ने आइशा के खिलाफ केरल में भी शिकायत की हैं.

मुखरता से संशोधनों का विरोध करती रही हैं आइशा

फिल्म प्रोफेशनल आइशा लक्षद्वीप में प्रस्तावित कानूनों का मुखरता से विरोध करती रही हैं. बीते कई दिनों से लक्षद्वीप और केरल में इन नए कानूनों को लेकर विवाद चल रहा है.

अपनी विवादित टिप्पणी को लेकर आइशा ने फेसबुक पर सफाई लिखी है-

मैंने टीवी चैनल डिबेट में बायो वैपन शब्द का प्रयोग किया था. मुझे लगता है कि पटेल और उनकी नीतियां बायो वैपन की तरह हैं. पटेल की नीतियों की वजह से लक्षद्वीप में कोरोना संक्रमण फैला. मैंने पटेल को बायोवैपन कहा, ना कि सरकार या देश को.
आइशा सुल्ताना
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लक्ष्यद्वीप के साहित्य प्रवर्तक संगम ने आइशा को अपना समर्थन दिया है. उनका कहना है कि 'उसे देशद्रोही के तौर पर देखा जाना गलत है. उसने प्रशासन के अमानवीय बर्ताव पर अपनी बात रखी थी.'

गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार में गृहमंत्री रह चुके प्रफुल पटेल को 5 दिसंबर 2020 यानी करीब 5 महीने लक्षद्वीप की जिम्मेदारी दी गई थी. अब लक्षद्वीप स्टूडेंट एसोसिएशन समेत यहां के कई छात्र संगठन और राजनीतिक दल प्रफुल पटेल की कई नीतियों को ‘जनविरोधी’ और ‘अधिनायकवादी’ बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि वो नेशनल मीडिया का भी ध्यान अपनी दिक्कतों की तरफ खींच सकें.

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