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योगी ने कहा पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने पर लगेगा राजद्रोह,कानून क्या कहता है?

SC कई बार दोहरा चुका है कि किसी प्रकार की हिंसक घटना के संबंध के बिना, राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता.

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T20 वर्ल्ड कप में 24 अक्टूबर को खेले मुकाबले में पाकिस्तान से करारी हार से करोड़ों भारतीय फैंस का दिल तो टूटा ही, लेकिन कई लोगों के लिए मुसीबत बनकर सामने आया. भारत की हार के बाद उत्तर प्रदेश, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर में कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया.

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 अक्टूबर को कहा कि, T20 क्रिकेट वर्ल्ड कप मैच में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने वालों पर राजद्रोह का केस लगाया जाएगा.

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तो क्या वर्ल्ड कप में पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने पर पुलिस राजद्रोह का केस कर सकती है?

किन मामलों में किया जाता है राजद्रोह केस?

भारतीय दंड संहिता की धारा 124A उन लोगों को दंडित करती है जो "भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार" के प्रति घृणा, अवमानना ​​या असंतोष पैदा करने का प्रयास करते हैं. इस आरोप को सरकार की आलोचना करने पर भी नहीं लगाया जा सकता.

1962 के ऐतिहासिक केदारनाथ सिंह जजमेंट में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि धारा 124A को इस तरह से लिखा गया है कि "ये स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि सरकार के उपायों की अस्वीकृति व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल किए गए मजबूत शब्द इस धारा के भीतर नहीं आएंगे."

जजों ने स्पष्ट किया कि किसी भाषण को राजद्रोह तब माना जाएगा, जब वो "हिंसा के कृत्यों द्वारा सार्वजनिक अव्यवस्था" को भड़का रहे हों. कोर्ट इसे कई बार दोहरा चुका है कि किसी प्रकार की सार्वजनिक हिंसक घटना के संबंध के बिना, राजद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता है.

कुछ साल पहले, 2017 में चैंपियन्स ट्रॉफी में भारत पर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने पर भी देश के कई लोगों पर राजद्रोह का केस किया गया था. क्विंट ने चार साल पहले कुछ एक्सपर्ट्स से इस मामले पर बात की थी, जिन्होंने एक स्वर में कहा था कि क्रिकेट में विरोधी टीम को सपोर्ट करना राजद्रोह नहीं है.

पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने केदारनाथ सिंह बनाम सरकार (1962) मामले का हवाला देते हुए कहा था कि, अपराध तभी माना जाएगा जब भाषण या कार्य में हिंसा फैलाने वाला तत्व मौजूद हो.

वरिष्ठ वकील प्रशात भूषण ने क्विंट से कहा था, "सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजद्रोह तभी लगेगा जब हिंसा और अव्यवस्था के जरिये राज्य को उखाड़ फेंकने की कोशिश हो. यहां की घटनाएं क्रिकेट मैच के दौरान सपोर्ट से संबंधित हैं, युद्ध से नहीं. युद्ध में भी, सरकार की आलोचना करना संभव है अगर वो कुछ गलत कर रही है."

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नारे लगाना राजद्रोह नहीं

1995 के बलवंत सिंह केस में, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि 'खालिस्तान जिंदाबाद' जैसे नारे लगाने पर भी राजद्रोह का मुकदमा नहीं बनेगा. इस मामले में, 'खलिस्तान जिंदाबाद' और 'राज करेगा खालसा' जैसे नारों को लेकर निचली अदालत ने दो लोगों पर राजद्रोह का केस लगाया था.

इस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "अभियोजन पक्ष के सबूतों को ध्यान में रखते हुए कि नारे केवल अपीलकर्ता द्वारा दो बार लगाए गए थे और नारों पर न ही सिख समुदाय के किसी व्यक्ति या दूसरे समुदायों के लोगों की प्रतिक्रिया मिली, हमें ये मुश्किल लगता है इस तरह के नारे कुछ बार लगाने से राजद्रोह का आरोप लगाया जा सकता है."

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पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने पर कई केस

उत्तर प्रदेश के आगरा में तीन कश्मीरी छात्रों पर पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाने के आरोप में राजद्रोह का केस दर्ज किया गया है.

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के फैजगंज बेहता में नियाज नाम के एक शख्स पर पाकिस्तान का झंडा पोस्ट करने और कमेंट लिखने के आरोप में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया. बदायूं के वरिष्ठ एसपी ने कहा कि नियाज ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा था, "आई लव यू पाकिस्तान, आई मिस यू पाकिस्तान, जीत मुबारक पाकिस्तान."

भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाफ कथित रूप से अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप में सात लोगों के खिलाफ आगरा, बरेली, बदायूं और सीतापुर में ऐसे पांच मामले दर्ज किए गए हैं. एक केस सतना में भी दर्ज हुआ है. वहां गिरफ्तारी भी हुई है.

इससे पहले, साल 2014 में एशिया कप में पाकिस्तान के हाथों में मिली हार के बाद भी उत्तर प्रदेश के मेरठ में 60 कश्मीरी छात्रों के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया था. BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने बाद में छात्रों के खिलाफ राजद्रोह का केस हटा दिया था.

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