सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 4 जुलाई को तमिलनाडु (Tamil Nadu) के मंत्री वी सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के आदेशों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर अपीलों की एक सीरीज में सुनवाई स्थगित कर दी. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लंबे सत्र के बाद पिछले महीने प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें गिरफ्तार किया था.
अगली सुनवाई 24 जुलाई को
इससे पहले, दिन में उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने इस सवाल पर बंटा हुआ फैसला सुनाया था कि क्या विधायक की गिरफ्तारी अवैध हिरासत है.
सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता शामिल थे, उन्होंने मामले में कानूनी सवालों पर निर्णय लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया था.
इसके बजाय, उन्होंने हाई कोर्ट में चल रहे मुकदमे के नतीजे का इंतजार करना चुना था, जैसा कि उन्होंने पहले भी किया था.
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से सेंथिल बालाजी की पत्नी मेगाला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) को शीघ्र निर्णय के लिए एक बड़ी पीठ के पास भेजने का अनुरोध किया था.
भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अपीलों पर सुनवाई करने और अंतिम निर्णय लेने का तर्क दिया.
उन्होंने कानून के सवाल उठाए, जैसे कि क्या रिमांड के न्यायिक आदेश के बाद बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की जा सकती है? क्या आरोपी द्वारा चिकित्सा आधार पर अस्पताल में बिताई गई अवधि को हिरासत अवधि से बाहर रखा जा सकता है?
तुषार मेहता ने जब तक आरोपी अस्पताल में थे, तब तक सबूतों के साथ छेड़छाड़ पर चिंता व्यक्त की थी, खासकर प्रभावशाली व्यक्तियों से जुड़े मामलों में.
हालांकि, गिरफ्तार विधायक का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने हाई कोर्ट को दरकिनार करने पर आपत्ति जताई. उन्होंने बताया कि एक बंटा हुआ फैसला है, और इस मामले को तीसरे न्यायाधीश के पास भेजे जाने की जरूरत है जैसा कि पहले सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया था. कपिल सिब्बल ने उन परिस्थितियों पर सवाल उठाया जिनके तहत इस स्तर पर मामला सुप्रीम कोर्ट में लाया जा रहा है.
दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, पीठ ने मद्रास हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से मामले को जल्द से जल्द तीन-न्यायाधीशों के संयोजन के पास भेजने का अनुरोध करने का निर्णय लिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विशेष अनुमति याचिका के लंबित रहने से हाई कोर्ट के समक्ष कार्यवाही पर कोई असर नहीं पड़ेगा. पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि बालाजी इस अवधि के दौरान हिरासत में रहेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई सोमवार 24 जुलाई को होनी है.
(इनपुट्स - लाइव लॉ)
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