सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री राजेश मुनात से से जुड़े अश्लील सीडी मामले में सुनवाई पर रोक लगा दी है. इस मामले से जुड़े मानहानि के एक अन्य मामले में कथित तौर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी अभियुक्त बनाया गया है. CBI ने मामले की सुनवाई छत्तीसगढ़ के बाहर कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी.
सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मामले के गवाहों को धमकाया जा रहा है और उनके खिलाफ FIR दर्ज की जा रही है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा-
“दो गवाहों ने धारा 164 के अंतर्गत (मजिस्ट्रेट के समक्ष) बयान दिया है. चार्जशीट दाखिल होने के बाद एक आरोपी राज्य का मुख्यमंत्री बन गया और दूसरा आरोपी उनका राजनीतिक सलाहकार.”
उन्होंने कोर्ट को बताया कि मामले के गवाहों को सीधे धमकी दी जा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी कर दिए. सीबीआई ने मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है.
क्या है 2017 का CD केस?
साल 2017 में छत्तीसगढ़ के तत्कालीन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री राजेश मुनात ने इस मामले को उजागर करने वाले भूपेश बघेल और वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा के खिलाफ झूठी सीडी के माध्यम से उनकी मानहानि करने का मामला दर्ज कराया था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी माने जाने वाले मुनात ने कहा कि वह सीडी उनकी छवि को बिगाड़ने की कोशिश है. इसके बाद राज्य पुलिस ने पत्रकार वर्मा के आवास पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. विनोद वर्मा पहले बीबीसी के लिए काम करते थे.
ये मामला पिछले साल छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से कुछ हफ्ते पहले का है. बता दें, अब राज्य में कांग्रेस की सरकार है. भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं और पत्रकार रहे विनोद वर्मा अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सलाहकार हैं.
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