दिल्ली की एक अदालत ने किसान आंदोलन से संबंधित विवादित टूलकिट के मामले में आरोपी शांतनु मुलुक की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई गुरुवार तक टाल दी है. कोर्ट ने इस याचिका पर दिल्ली पुलिस का जवाब मांगा है.
न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, मुलुक ने बुधवार को कोर्ट में कहा कि उन्होंने केवल टूलकिट बनाई थी, इसमें केवल आंदोलन के बारे में जानकारी दी गई थी लेकिन कुछ लोगों ने उन्हें बताए बिना इसकी एडिटिंग की.
इस मामले में जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि और निकिता जैकब के साथ-साथ शांतनु पर भी साजिश और राजद्रोह के आरोप लगे हैं. पुलिस का कहना है कि इस टूलकिट के जरिए भारत को बदनाम करने की कोशिश की गई, साथ ही यह हिंसा का कारण बनी.
मामले में मंगलवार को अपनी जमानत याचिका दायर करते हुए शांतनु मुलुक ने कहा था कि उन्होंने 20 जनवरी के बाद इस दस्तावेज पर काम नहीं किया.
शांतनु ने इस बात पर जोर दिया कि दस्तावेज में उन्होंने जो जानकारी दी थीं, उसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं था और उसके बाद उस दस्तावेज पर उनका कोई नियंत्रण नहीं था, साथ ही उनका टूलकिट के मामले में देश के बाहर किसी से कोई संपर्क नहीं है. उन्होंने पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के सह-संस्थापक मो धालीवाल से परिचित न होने की बात भी कही, जबकि 11 जनवरी को हुई जूम कॉल में इन दोनों ने हिस्सा लिया था.
इसे लेकर मुलुक ने कहा, "जूम कॉल पर करीब 70 लोग थे, जिनमें से निकिता जैकब के अलावा मैं किसी को नहीं जानता था. कुछ लोगों ने वहां बात की, वहीं कुछ लोग चुप रहे." गिरफ्तारी के डर से मुलुक ने मंगलवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी.
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