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इंदिरा के बाद अब सावरकर को लेकर भिड़ीं कांग्रेस-शिवसेना

संजय राउत इंदिरा गांधी के बाद सावरकर को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है

Published
भारत
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इंदिरा गांधी के बाद अब वीडी सावरकर पर कांग्रेस और शिवसेना आमने सामने दिख रहे हैं. वीडी सावरकर को भारत रत्न दिये जाने के विरोधियों पर शिवसेना नेता संजय राउत ने निशाना साधा था, इस पर कांग्रेस ने पलटवार करते हुए कहा कि हिंदुत्ववादी विचारधारा के समर्थकों को तत्कालीन अंडमान जेल का दौरा करना चाहिए ताकि वे उन स्वतंत्रता सेनानियों का बलिदान समझ सकें जिन्होंने कभी अंग्रेजों से माफी नहीं मांगी.

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संजय राउत ने अपने बयान में कहा था कि जो लोग सावरकर को भारत रत्न दिये जाने का विरोध कर रहे हैं उन्हें कम से कम दो दिन तत्कालीन औपनिवेशिक जेल में बिताने चाहिए जिससे यह समझ सकें कि सजा के दौरान उन्हें किन मुश्किलों का सामना करना पड़ा होगा.

इंदिरा गांधी को लेकर राउत ने दिया था बयान

संजय राउत ने 15 जनवरी को इंदिरा गांधी पर बयान दिया था कि, पूर्व पीएम इंदिरा गांधी मुंबई में पुराने डॉन करीम लाला से मिलने आती थीं. उनके बयान पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम और मिलिंद देवड़ा ने नाराजगी जाहिर की थी, जिसके बाद राउत ने सफाई देते हुए कहा कि करीम लाला से समस्या जानने के लिए भी नेता मिलते थे. करीम लाला से कई नेताओं की मुलाकात होती थी.

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सावरकर पर सचिन सावंत ने दिया राउत को जवाब

महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने राउत के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीजेपी केंद्र में बहुमत होने की वजह से सावरकर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दे सकती है, अगर वह सावरकर, बीआर आंबेडकर को 'माथेफिरु' (कट्टर) और बौद्धों को 'राष्ट्रद्रोही' कहने जैसे बयानों की अनदेखी करने की इच्छुक है.

सावंत ने ट्वीट कर कहा, ‘सावरकर 1911 से पहले अलग थे. कांग्रेस 1923 के बाद की सावरकर की विचारधारा के खिलाफ है.’ ‘सावरकर ने आंबेडकर को ‘माथेफिरु’ और बौद्ध को ‘देशद्रोही’ कहा. उन्होंने छत्रपति शिवाजी के अच्छे कामों की भी आलोचना की.’

सावंत ने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'सावरकर ने तत्कालीन रियासत त्रावणकोर को भारत में मिलाने के विरोध में चल रहे अभियान का भी समर्थन किया.' उन्होंने सावरकर पर निशाना साधते हुए कहा, 'जिन लोगों ने भी वहां सजा काटी, उसे गर्व के साथ पूरा किया, बिना क्षमा मांगे. ऐसे लोगों को भारत रत्न दिया जाना चाहिए.'

इस बात को लेकर विवाद है कि क्या सावरकर ने सेलुलर जेल से अपनी शीघ्र रिहाई के लिये अंग्रेजों से माफी मांगी थी? उन्होंने कहा, 'अंडमान में जेल में लंबी सजा बिताए स्वतंत्रता सेनानियों ने अंग्रेजों का साथ नहीं दिया. उन्होंने अंग्रेजों से कोई मानदेय नहीं लिया. सावरकर के समर्थक अगर सेलुलर जेल जाएंगे तो उन्हें महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा दिए गए बलिदान का महत्व पता चलेगा जिन्होंने माफी मांगे बिना अपनी जान दे दी.'

इनपुट भाषा से

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