क्या रेलवे के पास पैसे की कमी बन गई एलफिंस्टन हादसे की वजह?
लगता तो कुछ ऐसा ही है. शिवसेना के दो सांसदों ने एलफिंस्टन से परेल को जोड़ने वाले फुटओवर ब्रिज के मुद्दे को उठाया. 2015-16 में बाकायदा इसको लेकर रेलमंत्री सुरेश प्रभु को चिट्ठी लिखी गई. अरविंद सावंत और राहुल शिवाले ने इस अहम मामले को उठाया. मुंबई साउथ से सांसद अरविंद गणपत सावंत ने सबसे पहले लोकसभा में नवंबर 2014 में फुटओवर ब्रिज और रेलवे स्टेशनों की बदहाली के मुद्दे को लोकसभा में रखा. सावंत ने एलफिंस्टन और परेल FOB की वजह से होने वाली मुश्किल का जिक्र किया.
फरवरी 2016 में सावंत ने अपनी मांग दोहराते हुए रेलमंत्री सुरेश प्रभु को चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी के जवाब में जो चिट्ठी आई, वो बेहद चौंकाने वाली है.
सुरेश प्रभु ने 20 फरवरी 2016 को भेजे अपने जवाब में लिखा- “रेलवे एक मुश्किल वक्त से जूझ रहा है. दुनिया भर में छाई मंदी के चलते ये साल हमारे लिए काफी मुश्किल रहा है. ऐसे मुश्किल वक्त में भी हम आपके संसदीय क्षेत्र में होने वाले रेलवे के काम को लेकर सकारात्मक रुख रखते हैं.”
इसके ठीक नीचे एलफिंस्टन से परेल को जोड़ने वाले 12 मीटर चौड़े नए फुटओवर ब्रिज की बात लिखी है. दशकों पुराने उसी फुटओवर ब्रिज की, जिस पर हुए हादसे में 22 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.
तो क्या महज फंड की कमी की वजह से आज 22 लोग इस दुनिया में नहीं हैं?
शिवसेना का रुख यूं ही हमलावर नहीं है. उसके एक नहीं दो सांसदों ने रेलवे को इस फुटओवर ब्रिज को लेकर ध्यान खींचने की कोशिश की थी लेकिन रेलवे के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. सबसे दिलचस्प बात ये है कि सुरेश प्रभु की लिखी चिट्ठी की शुरूआत रेलवे के कायाकल्प की बात से होती है लेकिन पैसा एक फुटओवर ब्रिज को तत्काल बनाने तक पर नहीं जुट पाता.
शिवसेना सांसद राहुल शिवाले ने भी 23 अप्रैल 2015 को सुरेश प्रभु को खत लिखकर फुट ओवरब्रिज को चौड़ा करने की मांग की थी.
आपको बता दें, मुंबई में परेल और एलफिंस्टन रेलवे स्टेशन के बीच बने फुटओवर ब्रिज पर शुक्रवार सुबह भगदड़ मचने के कारण 22 लोगों की मौत हो गई है. भारी बारिश के बीच कई लोग ब्रिज पर इकट्ठा हो गए. शॉर्ट सर्किट की अफवाह के बाद वहां भगदड़ मच गई.
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