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मोदी-शाह पर शिवसेना का हमला, अस्थाना को बताया BJP का ‘शार्प शूटर’

अस्थाना को मिला वफादारी का इनाम

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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में सीबीआई और सरकार में छिड़ी जंग के जरिए बीजेपी पर कटाक्ष किया है. "गुजरात काडर के राकेश अस्थाना मोदी-शाह के बेहद वफादार हैं. इसमें कोई गलत बात नहीं है, लेकिन अस्थाना की ईमानदारी सवालों के घेरे में है. वह बीजेपी के शार्प शूटर की तरह काम कर रहे हैं." मंगलवार को सामना में छपे संपादकीय में सीबीआई डायरेक्टर राकेश अस्थाना का नाम लेकर पीएम मोदी और अमित शाह पर कई आरोप लगाए गए हैं.

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राहुल के सहारे BJP पर निशाना

सामना के संपादकीय में लिखा है, "सीबीआई में नंबर एक और दो का मुद्दा जान-बूझकर पैदा किया गया है. अलोक वर्मा जब सीबीआई के डायरेक्टर थे तब राकेश अस्थाना उनके काम में रुकावट डालते थे. इसके पीछे जरूर ही कोई बड़ी शक्ति है. राहुल गांधी ने सीबीआई विवाद को राफेल विमान मामले से जोड़ा है. आलोक वर्मा राफेल मामले की जांच करना चाहते थे और उन्होंने राफेल से जुड़े कई जरूरी जानकारी हासिल कर ली थी. ये मामला और ज्यादा आगे ना बढ़े इसलिए अस्थाना के जरिए वर्मा पर हमला किया गया, ये बातें राहुल गांधी कह रहे हैं."

सृजन घोटाला, अस्थाना और नीतीश कुमार

सामना आगे लिखता है, CBI पर अब तक आरोप लगे लेकिन आज जिस तरह का कीचड़ उस पर उछल रहा है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ.

बिहार के बदनाम सृजन घोटाले से इसी राकेश अस्थाना ने नीतीश कुमार को बचाया था और उसी दबाव के चलते नीतीश कुमार को लालू का साथ छोड़ने पर मजबूर कर उन्हें बीजेपी के तंबू में ढकेला गया, ऐसा अब सरेआम कहा जा रहा है. यह सृजन घोटाला ढाई हजार करोड़ का था और नीतीश कुमार पर तब आरोप लगे थे.
सामना, शिवसेना का मुखपत्र

अस्थाना को मिला वफादारी का इनाम

आगे सामना में लिखा है कि चारा घोटाले में लालू यादव को गिरफ्तार करने वाले यही अस्थाना थे. 2002 में गुजरात के गोधरा मामले की जांच के लिए हेड के रूप में सीएम मोदी ने अस्थाना की नियुक्ति की थी. सामना के जरिए शिवसेना ने कहा है-

मतलब बीजेपी को जैसा चाहिए, वैसा अस्थाना करते गए और मोदी ने उन्हें सीबीआई का स्पेशल डायरेक्टर बना कर उनके काम का इनाम दिया. सीबीआई की आज जो हालत हुई है, वो इसी राजनीतिक हस्तक्षेप और घुसपैठ की वजह है.

दिल्ली की राज व्यवस्था की हालत ‘तांगा पलटा, घोड़े फरार

सामना में ये भी लिखा गया है, "दिल्ली की राज व्यवस्था की हालत ‘तांगा पलटा, घोड़े फरार’ जैसी दिखाई देती है. राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी घटना घटती हुई दिखाई दे रही है कि ‘अराजक’ या ‘गृहयुद्ध ’ जैसे शब्दों की धार कम पड़ जाए. पहले हमारी जुडिशियल सिस्टम में बगावत हुई, सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर बगावत की तोप दागी. अब ‘सीबीआई’ में भी उसी तरह की बगावत का कोहराम मचा है. डिफेन्स और ईडी के कुछ बड़े अफसरों को जबरन छुट्टी पर भेजना भी वैसा ही है."

दरअसल, सामना के जरिए शिवसेना ने बीजेपी और पीएम मोदी पर एक साथ कई निशाने लगाए हैं.

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