उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) ने दिल्ली के पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ कोर्ट में दाखिल की गई चार्जशीट में लिखा है कि कप्पन एक जिम्मेदार पत्रकार की तरह नहीं लिखते, वह केवल मुसलमानों को भड़काने का काम करते हैं. साथ ही माओवादियों और कम्युनिस्टों के साथ सहानुभूति के लिए भी लिखते हैं.
पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को एक साल पहले ही राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. जब वह हाथरस में दलित युवती के साथ हुए रेप के मामले में उसके घर मिलने जा रहे थे.
5,000 पन्नों की चार्जशीट में जिसमें एक केस डायरी नोट भी शामिल है, जो 23 जनवरी 2021 को दाखिल की गई थी. इसमें 36 आर्टिकल्स भी हैं जो सिद्दीकी कप्पन ने मलयालम मीडिया हाउस के लिए लिखे थे.
ये आर्टिकल्स कोरोना महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज के जमावड़े पर, CAA के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर, पूर्वोत्तर दिल्ली दंगे, अयोध्या में राम मंदिर और देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद शरजील इमाम के खिलाफ चार्जशीट पर लिखे गए थे.
कप्पन के लेखों में से एएमयू में सीएए के विरोध के दौरान लिखे गए लेख पर एसआईटी ने कहा, 'आर्टिकल में, मुसलमानों को पीड़ित बताया गया है (जिन्हें) पुलिस ने पीटा था और उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया था. लेखन से स्पष्ट है कि यह मुसलमानों को भड़काने के लिए किया गया है.'
कुल मिलाकर चार्जशीट का यह निष्कर्ष है कि, 'सिद्दीकी कप्पन के यह लेख काफी हद तक, सांप्रदायिक हैं. दंगों के दौरान अल्पसंख्यक का नाम लेना और उनसे जुड़ी घटनाओं के बारे में बात करना केवल भावनाओं को भड़काता है. जिम्मेदार पत्रकार ऐसी सांप्रदायिक रिपोर्टिंग नहीं करते'.
'कप्पन केवल और केवल मुसलमानों को उकसाने के लिए रिपोर्ट करते हैं, जो कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का एक छिपा हुआ एजेंडा है. कुछ आर्टिकल माओवादियों और कम्युनिस्टों के प्रति सहानुभूति रखने के लिए लिखी गई थीं.'
चार्जशीट में और कौन सी बातें हाईलाइट की गई
एसटीएफ ने दावा किया है कि PFI हाथरस पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन की आड़ में अशांति और दंगा जैसी स्थिति पैदा करना चाहता था. केस डायरी नोट के अनुसार, लेख कप्पन के लैपटॉप से फॉरेंसिक लैब से रिकवर करवाया गया है.
नोट में, पुलिस का दावा है कि कप्पन ने PFI के थिंक टैंक के रूप में काम किया. वह मलयालम मीडिया में हिंदू विरोधी कहानियां प्रकाशित करते थे. पुलिस ने उन पर इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत को छिपाने की कोशिश करने और दिल्ली दंगों में निलंबित AAP पार्षद ताहिर हुसैन की कथित भूमिका को कम करने का भी आरोप लगाया.
पुलिस ने दो चश्मदीदों के बयान भी सौंपे हैं, जो दावा करते हैं कि कप्पन और रहमान पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने के एक दिन बाद प्रशासन के खिलाफ भीड़ को भड़काने की कोशिश कर रहे थे.
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