दुनिया भर में अपने प्रशंसकों के लिए वह हमेशा सिद्धू मूसेवाला (Sidhu Moose Wala) रहेंगे, लेकिन कॉलेज के अपने दो सबसे करीबी दोस्तों के लिए वह शुभदीप सिंह सिद्धू थे. ये बात उनके दोस्तों ने कही.
गोली मारने के दो दिन बाद गायक-राजनेता का अंतिम संस्कार पंजाब के मनसा जिले के मूसा गांव में उनके खेतों में 31 मई को हजारों लोगों की उपस्थिति में किया गया था. इस दौरान मूसेवाला के दोस्त रणदीप सिंह और सहज पाल सिंह भी उन्हें अंतिम विदाई देने आए थे.
द क्विंट के साथ एक विशेष बातचीत में दोनों ने अपने दोस्त शुभदीप उर्फ सिद्धू मूसेवाला के साथ अपने समय, उनकी राजनीति, उनका संगीत कैसे विकसित हुआ, और उनकी अधूरी योजनाओं को याद किया.
सिद्धू मूसेवाला को दोस्त 26 साल के रणदीप सिंह जो इस समय पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई कर रहे हैं वो बताते है कि हम एक साथ हंसे, एक साथ रोए, और एक दूसरे के पैर भी खींचे. हम छह साल पहले अपने कॉलेज के समय में कॉमन फ्रेंड्स के जरिए मिले थे.
आखिरी बार जब मैंने शुभदीप से बात की थी तो वह मारे जाने से एक दिन पहले हुआ था. हमने 30 मिनट तक फोन पर बात की, और उसने शादी के बारे में बात की. हम एक दूसरे की शादी में कैसे नाचेंगे और मस्ती करेंगे. उन्होंने राजनीतिक स्थिति के बारे में अपने पढ़ने के बारे में बात की और वह कैसे सिख राजनीति से जुड़ने की कोशिश कर रहे थे.
उन्होंने बताया कि जब मूस वाला कांग्रेस में शामिल हुए, तो रणदीप ने चुनाव प्रचार और रणनीति में उनकी मदद की. उन्होंने द क्विंट से कहा कि उनके चुनाव प्रचार के दौरान हमें बहुत कम समय मिलता था. राजनीति में, दो-तीन महीने काफी नहीं होते हैं, लेकिन हमने अभी भी कुछ ऐसी चीजों को लागू करने में कामयाबी हासिल की है, जिनकी हमने योजना बनाई थी.
उन्होंने कहा कि हालांकि, परिणाम अनुकूल नहीं था. शुभदीप और मुझे उम्मीद थी कि अगले तीन-चार वर्षों में वह बहुत आगे जाएंगे. क्योंकि वह राजनीति को तेजी से सीख रहे थे.
'अपने देहाती व्यवहार को छिपाया नहीं, जो महसूस किया वह कहा'
इस बीच, 27 वर्षीय सहज पाल ने याद किया कि कैसे एक दशक पहले लुधियाना के गुरु नानक देव इंजीनियरिंग कॉलेज में शुभदीप उनके पहले दोस्त थे और मूसेवाला ने उन्हें एक छात्रावास का कमरा दिलाने में कैसे मदद की थी.
पाल बताते हैं कि सिद्धू मूसेवाला एक नर्मदिल इंसान थे. उन्होंने कभी भी अपने देहाती व्यवहार को छिपाने की कोशिश नहीं की. वह वही करते थे, जो उन्हें महसूस होता था. वह शहर के लोगों की तरह कूटनीतिक नहीं थे. पाल बताते हैं कि वो 31 मई को अपने दोस्त के अंतिम संस्कार से कुछ मिनट पहले खूब रोए थे.
गायक की हत्या से तीन-चार दिन पहले सहज पाल ने शुभदीप से आखिरी बार बात की थी. "यह सिर्फ एक अनौपचारिक बात थी कि हम कुछ दिन से कैसे नहीं मिले थे, और हमें जल्द ही मिलना चाहिए. लुधियाना से हमारा कॉमन फ्रेंड भी आया था और हमने उससे भी मिलने की योजना बनाई थी.
'उनका आगामी गीत उनके असली व्यक्तित्व को प्रकट करेगा'
रणदीप के लिए मूसेवाला का संगीत उनके दिल और राजनीति की झलक था.
जब उन्होंने अपना गीत '295' लिखा और गाया, तो उन्होंने सरकार के खिलाफ एक स्टैंड लिया. वास्तव में, एसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक कैनाल) मुद्दे पर उनका आगामी गीत आगे बताएगा कि उनका व्यक्तित्व कैसा था.रणदीप सिंह
अपने बेहद लोकप्रिय गीत, '295' में मूसेवाला ने गाया, "निट विवाद मिलुगी / धर्म ते नाम दे बहस मिलुगी / सच बोलेगा ता मिलु 295 / ये करेगा तरक्की पुट नफरत मिलुगी (यहां हर दिन एक विवाद है / यहां चर्चाएँ हैं) धर्म के नाम पर आयोजित किया जाता है / अगर आप यहां सच बोलते हैं, तो वे आप पर धारा 295 लगाएंगे / अगरआप प्रगति करते हैं, तो आपको यहां नफरत मिलेगी).
रणदीप ने कहा कि आप जानते हैं, उन्होंने अपने गीतों को कभी डायरी में नहीं लिखा, उन्हें इसकी जरूरत नहीं थी.
उन खेतों में खड़े होकर जहां कभी मूसेवाला अपने HMT 5911 ट्रैक्टर पर घूमते थे, सहज पाल ने कहा कि पंजाब सरकार से उनकी एकमात्र अपील त्वरित न्याय सुनिश्चित करना था.
उन्होंने द क्विंट को बताया कि हम अपील करते हैं कि यह गैंगस्टर संस्कृति जो बढ़ रही है, जिसके कारण मां अपने बेटों को खो रही हैं, इस पर जल्द अंकुश लगाया जाए. हम (मुख्यमंत्री) भगवंत मान से अपील करते हैं.
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