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Single Use Plastic क्या होती है,क्यों लगाया गया बैन, क्या होगा असर? जानें सब कुछ

Single Use Plastic Ban: भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है.

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भारत
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देश में बढ़ते प्रदूषण (Pollution) और पर्यावरण को रहे नुकसान को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला किया है. आज से देश में सिंगल यूज प्लास्टिक (Single-Use Plastic) से बनी चीजों को बैन कर दिया गया है. सरकार ने अभी सिंगल यूज प्लास्टिक से बनी 19 चीजों पर रोक लगाई है. आज से इन चीजों को बनाने, बेचने, इस्तेमाल करने, स्टोर करने और एक्सपोर्ट करने पर प्रतिबंध लग गया है. वहीं इन चीजों के बनाने या बेचने पर पर्यावरण एक्ट धारा 15 के तहत 7 साल की जेल और 1 लाख तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

Single Use Plastic क्या होती है,क्यों लगाया गया बैन, क्या होगा असर? जानें सब कुछ

  1. 1. सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है?

    सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब है प्लास्टिक से बनी ऐसी चीजें जिसका इस्तेमाल हम बस एक बार ही करते हैं. एक बार इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है. आमतौर पर इन्हें 'डिस्पोजेबल' भी कहा जाता है.

    संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स (SUP) ऐसे प्रोडक्ट्स होते हैं जिनको फेंकने या रिसाइकिल करने से पहले एक बार इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फूड पैकेजिंग, बोतलें, स्ट्रॉ, कंटेनर, कप, कटलरी और शॉपिंग बैग शामिल हैं.
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  2. 2. सरकार ने किन-किन चीजों पर बैन लगाया है?

    केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कुल 19 वस्तुओं पर आज से बैन लगा दिया है.

    1. प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स

    2. गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक

    3. प्लास्टिक के झंडे

    4. कैंडी स्टिक

    5. आइसक्रीम स्टिक

    6. थर्मोकोल

    7. प्लास्टिक की प्लेट

    8. कप

    9. गिलास

    10. फोर्क (कांटेदार चम्मच)

    11. चम्मच

    12. चाकू

    13. स्ट्रॉ

    14. ट्रे

    15. मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म

    16. इन्विटेशन कार्ड

    17. सिगरेट के पैकेट

    18. पीवीसी बैनर (100 माइक्रोन से कम)

    19. स्टिरर (पेय पदार्थ घोलने में काम आने वाली स्टिक)

    प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के मुताबिक गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए सभी प्लास्टिक पाउच पर भी प्रतिबंध लगा है.

    प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के मुताबिक 30 सितंबर 2021 से 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था. अब 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले बैग पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं इससे ज्यादा मोटाई वाले बैग के उपयोग की अनुमति रहेगी.
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  3. 3. इसकी निगरानी कैसे होगी?

    निगरानी के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे. इसके साथ ही प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के अवैध निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग की जांच के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किए जाएंगे.

    प्रतिबंधित वस्तुओं की अंतरराज्यीय सप्लाई पर रोक लगाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेक पोस्ट स्थापित करने के लिए भी कहा गया है.

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  4. 4. नियम तोड़ने पर क्या कार्रवाई होगी?

    सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सरकार ने जुर्माने और सजा का प्रावधान किया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक घर से अगर सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा निकलता है, तो 500 रुपये का जुर्माना लगेगा. वहीं, अगर कोई संस्थान या कंपनी कचरा फैलाती है तो उससे 5 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.

    पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक से बने 19 आइटम्स को एन्वार्यमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है. अगर कोई भी इन आइटम्स का अब इस्तेमाल करता है, तो उसे इस एक्ट की धारा 15 के तहत जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है. धारा 15 के तहत 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

    इसके साथ ही सभी मैनुफैक्चरर्स, स्टॉक रखने वाले, सप्लायर और डिस्ट्रीब्यूटर्स को जुलाई के पहले हफ्ते में इन 19 चीजों पर पूरी तरह रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं इन निर्देशों के उल्लंघन करने वालों वाले संस्थानों को बंद कर दिया जाएगा.

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  5. 5. इस प्रतिबंध से आम लोगों पर पर क्या असर पड़ेगा?

    इस प्रतिबंध का सबसे बड़ा और स्पष्ट बदलाव ये होगा कि अब किराना दुकानों, सब्जी बेचनेवालों, फेरीवालों सहित अन्य दुकानों में प्लास्टिक नहीं मिलेगी.

    सरकार के इस फैसले से आम जनता में हल्की नाराजगी देखने को मिल सकती है, क्योंकि अब दुकानों में प्लास्टिक नहीं मिलेगी. लोगों को घरों से अपना कैरी बैग लेकर जाना होगा. वहीं छोटे दुकानदारों को प्लास्टिक की जगह कोई दूसरा विकल्प तलाशना होगा.

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  6. 6. सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन क्यों जरूरी है?

    आज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है. प्लास्टिक न तो डिकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. लैंडफिल्स में हजारों टन प्लास्टिक कचरे के रूप में जाम हो रहे हैं. पूरी दुनिया कम से कम 100-150 मिलियन टन सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स का उपयोग हो रहा है. इसमें से हर साल 8 मिलियन टन सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स समुंद्र में फेंक दिया जाता है.

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के मुताबिक भारत में हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक पैदा होता है. इस हिसाब से हर व्यक्ति हर साल 18 ग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा पैदा करता है.

    अगर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्तमान खपत के हिसाब से 2050 तक लैंडफिल और पर्यावरण में लगभग 12 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा होगा.

    आंकड़ों के मुताबिक भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है.

    प्रदूषण के ये आंकड़ें डराने वाले हैं. भारत को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध का बड़ा कदम साबित हो सकता है. हालांकि, अभी ये सफर बहुत लंबा है. इसमें सरकार के साथ-साथ लोगों की भागिदारी बहुत जरूरी है.

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पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 12 अगस्त 2021 को ही प्लास्टिक कचरा प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया था, लेकिन प्रतिबंध इसी महीने से लागू किया जाएगा.

सरकार का मानना है कि इस प्रतिबंध से कूड़े और अप्रबंधित प्लास्टिक कचरे से होने वाले प्रदूषण पर अंकुश लगाने में मदद मिलेगी. इसके साथ ही 2022 तक सिंगल यूज वाली प्लास्टिक वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से खत्म किया जाएगा.

चलिए हम आपको बताते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है? सरकार ने किन-किन चीजों पर बैन लगाया है? नियम तोड़ने पर क्या कार्रवाई होगी? इस प्रतिबंध का आम लोगों पर पर क्या प्रभाव पड़ेगा? सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन क्यों जरूरी है?

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सिंगल यूज प्लास्टिक क्या होता है?

सिंगल यूज प्लास्टिक का मतलब है प्लास्टिक से बनी ऐसी चीजें जिसका इस्तेमाल हम बस एक बार ही करते हैं. एक बार इस्तेमाल के बाद इन्हें फेंक दिया जाता है. आमतौर पर इन्हें 'डिस्पोजेबल' भी कहा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स (SUP) ऐसे प्रोडक्ट्स होते हैं जिनको फेंकने या रिसाइकिल करने से पहले एक बार इस्तेमाल किया जाता है. इसमें फूड पैकेजिंग, बोतलें, स्ट्रॉ, कंटेनर, कप, कटलरी और शॉपिंग बैग शामिल हैं.
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सरकार ने किन-किन चीजों पर बैन लगाया है?

केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने कुल 19 वस्तुओं पर आज से बैन लगा दिया है.

  1. प्लास्टिक स्टिक वाले ईयर बड्स

  2. गुब्बारों के लिए प्लास्टिक स्टिक

  3. प्लास्टिक के झंडे

  4. कैंडी स्टिक

  5. आइसक्रीम स्टिक

  6. थर्मोकोल

  7. प्लास्टिक की प्लेट

  8. कप

  9. गिलास

  10. फोर्क (कांटेदार चम्मच)

  11. चम्मच

  12. चाकू

  13. स्ट्रॉ

  14. ट्रे

  15. मिठाई के डिब्बों को रैप या पैक करने वाली फिल्म

  16. इन्विटेशन कार्ड

  17. सिगरेट के पैकेट

  18. पीवीसी बैनर (100 माइक्रोन से कम)

  19. स्टिरर (पेय पदार्थ घोलने में काम आने वाली स्टिक)

प्लास्टिक कचरा प्रबंधन नियम 2016 के मुताबिक गुटखा, तंबाकू और पान मसाला के भंडारण, पैकिंग या बिक्री के लिए सभी प्लास्टिक पाउच पर भी प्रतिबंध लगा है.

प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 के मुताबिक 30 सितंबर 2021 से 75 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक कैरी बैग के निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग पर पहले ही प्रतिबंध लगा दिया गया था. अब 31 दिसंबर 2022 से 120 माइक्रॉन से कम मोटाई वाले बैग पर प्रतिबंध रहेगा. वहीं इससे ज्यादा मोटाई वाले बैग के उपयोग की अनुमति रहेगी.
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निगरानी के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष स्थापित किए जाएंगे. इसके साथ ही प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के अवैध निर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, बिक्री और उपयोग की जांच के लिए विशेष प्रवर्तन दल गठित किए जाएंगे.

प्रतिबंधित वस्तुओं की अंतरराज्यीय सप्लाई पर रोक लगाने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेक पोस्ट स्थापित करने के लिए भी कहा गया है.

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सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए सरकार ने जुर्माने और सजा का प्रावधान किया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक घर से अगर सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा निकलता है, तो 500 रुपये का जुर्माना लगेगा. वहीं, अगर कोई संस्थान या कंपनी कचरा फैलाती है तो उससे 5 हजार रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा.

पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक सिंगल यूज प्लास्टिक से बने 19 आइटम्स को एन्वार्यमेंट प्रोटेक्शन एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है. अगर कोई भी इन आइटम्स का अब इस्तेमाल करता है, तो उसे इस एक्ट की धारा 15 के तहत जुर्माना या जेल या दोनों की सजा हो सकती है. धारा 15 के तहत 7 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.

इसके साथ ही सभी मैनुफैक्चरर्स, स्टॉक रखने वाले, सप्लायर और डिस्ट्रीब्यूटर्स को जुलाई के पहले हफ्ते में इन 19 चीजों पर पूरी तरह रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं इन निर्देशों के उल्लंघन करने वालों वाले संस्थानों को बंद कर दिया जाएगा.

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इस प्रतिबंध का सबसे बड़ा और स्पष्ट बदलाव ये होगा कि अब किराना दुकानों, सब्जी बेचनेवालों, फेरीवालों सहित अन्य दुकानों में प्लास्टिक नहीं मिलेगी.

सरकार के इस फैसले से आम जनता में हल्की नाराजगी देखने को मिल सकती है, क्योंकि अब दुकानों में प्लास्टिक नहीं मिलेगी. लोगों को घरों से अपना कैरी बैग लेकर जाना होगा. वहीं छोटे दुकानदारों को प्लास्टिक की जगह कोई दूसरा विकल्प तलाशना होगा.

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सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन क्यों जरूरी है?

आज प्लास्टिक पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा है. प्लास्टिक न तो डिकंपोज होते हैं और न ही इन्हें जलाया जा सकता है. लैंडफिल्स में हजारों टन प्लास्टिक कचरे के रूप में जाम हो रहे हैं. पूरी दुनिया कम से कम 100-150 मिलियन टन सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स का उपयोग हो रहा है. इसमें से हर साल 8 मिलियन टन सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स समुंद्र में फेंक दिया जाता है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे के मुताबिक भारत में हर साल 2.4 लाख टन सिंगल यूज प्लास्टिक पैदा होता है. इस हिसाब से हर व्यक्ति हर साल 18 ग्राम सिंगल यूज प्लास्टिक कचरा पैदा करता है.

अगर संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्तमान खपत के हिसाब से 2050 तक लैंडफिल और पर्यावरण में लगभग 12 अरब मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा होगा.

आंकड़ों के मुताबिक भारत में सालाना 35 लाख मीट्रिक टन प्लास्टिक का कचरा पैदा होता है.

प्रदूषण के ये आंकड़ें डराने वाले हैं. भारत को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करने की दिशा में सिंगल यूज प्लास्टिक प्रोडक्ट्स पर प्रतिबंध का बड़ा कदम साबित हो सकता है. हालांकि, अभी ये सफर बहुत लंबा है. इसमें सरकार के साथ-साथ लोगों की भागिदारी बहुत जरूरी है.

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