सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए सरकार आगामी बजट में अहम कदम उठाने का फैसला ले सकती है, इसके तहत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में साधारण बीमा कंपनियों के लिए पूंजी डालने की घोषणा कर सकती हैं.
सरकार ने पिछले महीने 2019-20 के लिए पहली अनुदान के लिए अनुपूरक मांग में तीन बीमा कंपनियों नेशनल इंश्योरेंस, ओरियंटल इंश्योरेंस और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस में 2,500 करोड़ रुपये डालने की घोषणा की थी.
10 से 12 हजार करोड़ रुपये की जरूरत
सूत्रों के मुताबिक, इन कंपनियों को तय ‘सॉल्वेंसी मार्जिन’ के लिए 10,000 से 12,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत पड़ेगी. सूत्रों ने बताया कि इस बारे में घोषणा वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में की जा सकती है. बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है.
पूंजी डालने से खुलेगा विलय का रास्ता
सूत्रों के अनुसार, पूंजी डालने के बाद न केवल इन कंपनियों की वित्तीय सेहत सुधरेगी, बल्कि उनके विलय का रास्ता भी खुल सकेगा. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 में घोषणा की थी कि तीनों कंपनियों का एक इकाई के रूप में विलय किया जाएगा.
इन कंपनियों का विलय कई कारणों मसलन उनकी खराब वित्तीय सेहत की वजह से नहीं किया जा सका था. सूत्रों ने बताया कि विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली संयुक्त इकाई को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध किया जाएगा.
शुरुआती अनुमानों के अनुसार विलय के बाद बनने वाली संयुक्त इकाई देश की सबसे बड़ी साधारण बीमा कंपनी होगी, जिसका मूल्य 1.2 से 1.5 लाख करोड़ रुपये होगा. 31 मार्च, 2017 तक तीनों कंपनियों के कुल बीमा उत्पाद 200 से अधिक थे. इनका कुल प्रीमियम 41,461 करोड़ रुपये और बाजार हिस्सेदारी 35 प्रतिशत थी.
इनपुट भाषा से
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