कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मजदूरों का मुद्दा उठाकर एक बार फिर मोदी सरकार को निशाने पर लिया है. लॉकडाउन के दौरान देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे मजदूरों की बात करते हुए सोनिया गांधी ने ऐलान किया है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की हर इकाई हर जरूरतमंद श्रमिक और कामगार के घर लौटने की रेल यात्रा का टिकट खर्च उठाएंगी.
सोनिया ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा-
श्रमिक और कामगार देश की रीढ़ की हड्डी हैं, उनकी मेहनत और कुर्बानी राष्ट्र निर्माण की नींव है. सिर्फ चार घंटे के नोटिस पर लॉकडाउन करने के कारण लाखों श्रमिक और कामगार घर वापस लौटने से वंचित हो गए, 1947 के बंटवारे के बाद देश ने पहली बार यह दिल दहलाने वाला मंजर देखा कि हजारों श्रमिक व कामगार सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल घर वापसी के लिए मजबूर हो गए. न राशन, न पैसा, न दवाई, न साधन, पर केवल अपने परिवार के पास वापस गांव पहुंचने की लगन, उनकी व्यथा सोचकर ही हर मन कांपा और फिर उनके दृढ़ निश्चय और संकल्प को हर भारतीय ने सराहा भी.
सोनिया गांधी ने मजदूरों से किराया लेने पर केंद्र सरकार से सवाल पूछते हुए कहा- देश और सरकार का कर्तव्य क्या है? आज भी लाखों श्रमिक और कामगार पूरे देश के अलग अलग कोनों से घर वापस जाना चाहते हैं, पर न साधन है, और न पैसा. दुख की बात यह है कि भारत सरकार और रेल मंत्रालय इन मेहनतकशों से मुश्किल की इस घड़ी में रेल यात्रा का किराया वसूल रहे हैं. श्रमिक और कामगार राष्ट्रनिर्माण के दूत हैं.
जब हम विदेशों में फंसे भारतीयों को अपना कर्तव्य समझकर हवाई जहाजों से निशुल्क वापस लेकर आ सकते हैं, जब हम गुजरात के केवल एक कार्यक्रम में सरकारी खजाने से 100 करोड़ रु. ट्रांसपोर्ट और भोजन इत्यादि पर खर्च कर सकते हैं, जब रेल मंत्रालय प्रधानमंत्री के कोरोना फंड में 151 करोड़ रु. दे सकता है, तो फिर तरक्की के इन ध्वजवाहकों को आपदा की इस घड़ी में निशुल्क रेल यात्रा की सुविधा क्यों नहीं दे सकते?सोनिया गांधी
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सोनिया गांधी का पूरा बयान शेयर करते हुए लिखा है-
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मजदूरों से किराया वसूलने पर सरकार को घेरा है.
मजदूरों की शिकायत है कि जब उनकी रोजी छिन गई, खाने तक के पैसे नहीं हैं तो फिर वो टिकट का पैसा कहां से लाएंगे? अलग-अलग राज्यों से जो खबरें आ रही हैं वो परेशान कर देने वाली हैं. भिवंडी से उत्तरप्रदेश के गोरखपुर के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई थी. लेकिन इसमें करीब 90 सीटें खाली रह गईं. किसी तरह अपने घर लौटने की आस में स्टेशन पहुंचे 100 से ज्यादा मजदूरों को वापस लौटना पड़ा. क्योंकि इन मजदूरों के पास टिकट खरीदने के पैसे नहीं थे.
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