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कांग्रेस कार्यसमिति बैठक आज, खोलने होंगे राहुल गांधी को अपने पत्ते

CWC की बैठक में फैसला हो सकता है कि नेतृत्व में बदलाव वाली चिट्ठी पर पार्टी क्या करती है?

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कांग्रेस में लीडरशिप बदलाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का एक लेटर और फिर सोनिया गांधी के अंतरिम अध्यक्ष पद छोड़ने की पेशकश की चर्चा. ऐसे में सोमवार को ये साफ हो जाएगा कि राहुल गांधी क्या चाहते हैं? वो कांग्रेस अध्यक्ष पद चाहते हैं, या जैसा कि वो लगातार संकेत दे रहे थे, इस पर गांधी परिवार से बाहर का कोई उन्हें स्वीकार है?

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कांग्रेस के 5 पूर्व सीएम, CWC सदस्य और वरिष्ठ नेताओं ने एक चिट्ठी लिखकर मांग की है कि पार्टी में पूर्णकालिक अध्यक्ष हो, जो कि एक्टिव हो और नजर भी आए. इसके बाद खबर आई कि सोनिया ने इस्तीफे की पेशकश की है. इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भूपेश बघेल, कैप्टन अमरिंदर और कई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों ने मौजूदा नेतृत्व के पक्ष में बयान दिए हैं. पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी कहा है कि सोनिया गांधी के इस्तीफे की खबरें गलत हैं.

सोमवार को कार्यसमिति की बैठक अहम

सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की बैठक में ये तय हो सकता है कि लगातार कमजोर हो रही पार्टी अब किस राह जाएगी. ये बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि ये सामान्य बैठक नहीं जिसमें करीब दो दर्जन नेता शामिल होते हैं. बताया जा रहा है कि इसमें 40-50 नेता शामिल हो सकते हैं.

बैठक की अहमियत इससे भी समझी जा सकती है कि इस वर्चुअल बैठक की टेस्टिंग दो-तीन से की जा रही है. सामान्य से ज्यादा लोगों के शामिल होने से उम्मीद कम हो गई है कि खुलकर बात होगी. तो ये भी आशंका इसमें कुछ खास न निकले. बदलाव की मांग करने वाली चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में से गुलाम नबी आजाद और मुकुल वासनिक के बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद है, क्योंकि वो CWC के सदस्य हैं.

अब आगे क्या?

  1. पार्टी नेतृत्व सख्त रुख अख्तियार कर सकता है और चिट्ठी को नजरअंदाज करते हुए राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष घोषित कर सकता है. हालांकि इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है क्योंकि खुद राहल गांधी करीब डेढ़ साल से इस जिम्मेदारी को लेने से इंकार करते रहे हैं.

  2. कांग्रेस चिट्ठी लिखने वाले नेताओं से बिना सलाह मशविरा किए किसी को अध्यक्ष बना सकती है.

  3. पार्टी मामला शांत करने के लिए किसी को कार्यकारी अध्यक्ष या उपाध्यक्ष बना सकती है. ये व्यक्ति कौन होता है, इसी में इसका जवाब छिपा होगा कि राहुल गांधी पार्टी की कार्यशैली में कोई बदलाव लाना चाहते हैं या नहीं?

  4. नेतृत्व नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए किसी तारीख का ऐलान कर सकता है और कोई निर्वाचन अधिकारी की घोषणा कर सकता है. साथ ही चिट्ठी लिखने वाले नेताओं की चिंताओं को सुनने और समझने के लिए कोई कमेटी बना सकता है.

आखिर के दोनों विकल्पों की ज्यादा संभावना नजर आ रही है.

चूंकि ये वर्चुअल बैठक होगी तो कौन बोलेगा कौन नहीं, इसका रिमोट आयोजकों के पास हो सकता है. वो जिसको चाहें म्यूट और अनम्यूट कर सकते हैं. ऐसे में चिट्ठी लिखने वाले नेता फेस टू फेस बैठक की मांग कर सकते हैं. ये भी संभावना जताई जा रही है कहीं हमेशा की तरह पार्टी के कुछ ‘वफादार’ नेतृत्व का गुणगान न करने लग जाएं और चिट्ठी लिखने वालों पर टूट न पड़ें. इन सबसे अलग अगर पार्टी नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए कोई रोडमैप बताती है तो ये परिपाटी से हटना ही कहा जाएगा.

'बगावत' जरा हटके

इस चिट्ठी को बगावत कहना भी ठीक नहीं होगा.सूत्र बताते हैं कि नेतृत्व में बदलाव की मांग उठाने पर दो-तीन महीने से काम चल रहा था. 250 से 300 नेताओं को संपर्क किया गया. लेकिन आखिर में फैसला किया गया कि थोड़े लोग ही चिट्ठी पर हस्ताक्षर करेंगे ताकि ऐसा नहीं लगे कि विरोध की मुहिम है. हालांकि इसे अमली जामा पहनाए जाने का फैसला तब किया गया जब गुलाम नबी आजाद इसमें शामिल होने और चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने को राजी हो गए.

चिट्ठी लिखने वाले नेताओं ने भी पार्टी में कई नेताओं से कहा है कि ये बगावत बिल्कुल नहीं है. ये सिर्फ पार्टी में जो चल रहा है, उसको लेकर क्षोभ और पार्टी के भविष्य को लेकर चिंता है. उन्होंने ये भी साफ किया है कि साइन करने वाले ज्यादातर नेता बीजेपी के खिलाफ हैं. और इस बात में दम भी लगती है क्योंकि चिट्ठी पर साइन करने वाले नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से लेकर युवा नेता तक हैं - गुलाम नबी आजाद, भूपिंदर सिंह हुडा, मुकुल वासनिक, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद जैसे नाम इसमें हैं.

पार्टी के कई नेता इस बात से भी खफा हैं कि अविनाश पांडे को राजस्थान प्रभारी पद से हटा दिया गया. इनका मानना है कि जिसने वहां सरकार बचाने में मदद की, उन्हें सजा दी गई और बागियों को इनाम.

सोनिया गांधी कहां हैं

इस बीच गौर करने वाली बात है कि चिट्ठी मिले हुए 15 दिन से ऊपर हो गए हैं. कहा जा रहा है कि चिट्ठी 7 अगस्त के आसपास लिखी गई थी लेकिन ताज्जुब की बात ये है कि नेतृत्व ने इन नेताओं से बात करने की कोशिश अब तक नहीं की है. क्विंट को कम से कम तीन वरिष्ठ नेताओं ने कन्फर्म किया है कि उन्होंने सोनिया गांधी तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. 15 अगस्त और राजीव गांधी जयंति से संबंधित कार्यक्रमों में भी सोनिया नजर नहीं आई थीं. ये सब चीजें इशारा कर रही हैं कि सोनिया इस वक्त एक्टिव नहीं हैं.

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