नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में शनिवार को हुई जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातचीत को कई मायनों में सफल माना जा रहा है. इस द्विपक्षीय वार्ता में दोनों देशों ने 4 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
इंडो-जापान बिजनेस लीडर्स फोरम में जापान के साथ हुआ असैन्य परमाणु ऊर्जा करार इस समिट का हासिल माना जा रहा है. असैन्य परमाणु ऊर्जा समझौते पर एक सहमति पत्र साइन होने के बाद घोषणा की गई कि यह समझौता न सिर्फ व्यावसायिक और स्वच्छ ऊर्जा के बारे में है, बल्कि एक सुरक्षित दुनिया के लिए आपसी विश्वास और साझेदारी का एक संकेत भी है.
इसके अलावा अहमदाबाद और मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन चलाने के लिए भी जापान के साथ एक समझौता किया गया. इस 505 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग की अनुमानित लागत लगभग 1,00,000 करोड़ रुपए आएगी.
विदेश सचिव एस. जयशंकर ने इस बारे में बताया कि मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल परियोजना सात साल में पूरी कर ली जाएगी. जापान ने इस परियोजना के लिए 0.1 प्रतिशत की ब्याज दर पर ऋण दिया है, जिसका भुगतान 50 वर्षो में भारत को करना होगा. साथ ही 15 वर्षों तक भुगतान न करने की छूट होगी.
हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत को केवल ‘हाई स्पीड’ ट्रेन की ही नहीं, बल्कि हाई स्पीड विकास की भी जरूरत है. समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने एक दूसरे की खुलकर तारीफ की.
मोदी ने कहा कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक साझेदारी का गहरा महत्व है. उन्होंने जापानी प्रधानमंत्री की प्रशंसा करते हुए कहा,“शिंजो हमारे आर्थिक प्रस्तावों पर तत्पर और सकारात्मक रहे हैं, जिनमें से कई इस समय भारत के लिए अनोखे हैं. भारत में जापान का निजी निवेश भी तेजी से बढ़ रहा है.” वहीं शिंजो आबे ने भी मोदी के फैसलों की तारीफ की.
नीतियां लागू करने और सुधार करने की प्रधानमंत्री मोदी की गति शिंकनसेन (बुलेट ट्रेन) की तरह है और उनका सुधार एजेंडा शिंकनसेन की तरह सुरक्षित भी है.शिंजो आबे, प्रधानमंत्री, जापान
मोदी के कुछ और ऐलान भी
प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद दोनों देशों ने आपसी संबंधों को नया आयाम देने की प्रतिबद्धता दोहराई और तमाम क्षेत्रों में मिलकर काम करने पर सहमत हुए. मोदी ने ऐलान किया कि ऐसा पहली बार होगा, जब जापान भारत से मारुति सुजुकी की कारें इम्पोर्ट करेगा.
इसके अलावा मोदी ने जापानी नागरिकों के लिए 1 मार्च 2016 से आगमन पर वीजा की सुविधा का भी ऐलान किया. रक्षा उपकरणों एवं प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए भी भारत और जापान ने समझौते पर हस्ताक्षर किए.
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