राष्ट्रीय राजधानी में स्थित भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों के खिलाफ ‘जातिवादी’ टिप्पणियों के आरोपों की जांच के लिए सरकार ने एक समिति गठित की है और उससे तीन हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के छात्रों सहित कुछ छात्रों के एक समूह ने अधिकारियों से शिकायत की थी, कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर उनके विरोध प्रदर्शन करने के बाद उनके कुछ साथी उनके खिलाफ ‘द्वेष’ और ‘नफरत’ फैला रहे हैं.
17 छात्रों ने सामाजिक न्याय मंत्रालय और आदिवासी मामलों के मंत्रालय को लिखे पत्रों में 18 जनवरी को पहली बार दिखे कुछ सोशल मीडिया पोस्ट के खिलाफ शिकायत की है.
सोशल मीडिया पर की गई कुछ टिप्पणियों से संबंधित शिकायतों पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने संज्ञान लेते हुए मामले की जांच और 10 फरवरी तक निष्कर्ष प्रस्तुत करने के आदेश दिए गए हैं.वरिष्ठ अधिकारी
शिकायत करने वाले छात्रों ने अधिकारियों से कहा कि जब से उन्होंने मुद्दा उठाया है तब से कॉलेज और छात्रावासों के गलियारों से उनके गुजरने पर ‘‘टीका टिप्पणियां की जा रही हैं और तेज आवाज में टिप्पणियां हो रही हैं.
शिकायत करने वाले छात्रों ने पत्र में लिखा है,
परिसर में एक चिंता का माहौल है. इसलिए हम अपने सक्षम शिक्षकों से परिसर में सद्भाव एवं दोस्ती सुनिश्चित करने के लिए अग्रसक्रिय कार्रवाई की उम्मीद करते हैं. हम परिसर में दोस्ती एवं समग्रता को बढ़ावा देने के लिए जाति आदिवासी वास्तविकता एवं सकारात्मक कार्रवाई के क्षेत्र में विशेषज्ञों द्वारा सभी छात्रों को संवेदनशील बनाने के लिए शैक्षणिक समयसारणी में जगह आवंटित करने का अनुरोध करेंगे.
गौरतलब है कि, हैदराबाद विश्वविद्यालय के दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या को लेकर पिछले महीने कुछ छात्रों के एक समूह ने परिसर में एक विरोध प्रदर्शन सभा का आयोजन किया था.
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