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श्री श्री रविशंकर और प्रकृति को नष्ट करने की कला

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के खिलाफ जाकर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ यमुना के खादर में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.

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भारत
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दिल्ली और नॉएडा के बीच, DND फ्लाइवे के नजदीक यमुना के खादर में धातु की एक इमारत जैसी बनती देखी जा सरकी है. यहां, लगातार आते-जाते ट्रक और फाइबर ग्लास के गुंबद बनाते कंस्ट्रक्शन वर्कर आपको आसानी से नजर आ जाएंगे. जहां, प्राकृतिक वनस्पतियां, पेड़ और छोटे छोटे पानी के स्रोत दिखाई देते थे वहां एक बड़ी सी स्टेज बनती नजर आ रही है जहां अगले हफ्ते श्री श्री रविशंकर की संस्था ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ विश्व सांस्कृतिक समारोह का आयोजन कर रही है. इस समारोह में 35 लाख लोगों के आने की उम्मीद है.

यहां चल रहा निर्माण कार्य, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 2015 के उस आदेश का सीधा उल्लंघन है जिसमें यमुना के खादर में किसी भी तरह के निर्माण के निषेध कर दिया गया था.

खादर या फ्लड प्लेन एक नदी के तंत्र का जरूरी हिस्सा है. ये उतना ही महत्वपूर्ण है जितनी कि नदी खुद.
मनोज मिश्रा, यमुना जिए अभियान, इन्होंने इस कार्यक्रम के खिलाफ याचिका भी दी है
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खादर पानी के प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करते हैं, और आस-पास के इलाके को बाढ़ से बचाते हैं. ये नदी के किनारे रहने वाले जीव-जंतुओं, और चिड़ियों का घर भी हैं.

कार्यक्रम के खिलाफ याचिका दायर करने वाले मनोज मिश्रा का कहना है कि खादर की मिट्टी और वनस्पति को समतल करके, विश्व सांसकृतिक समारोह के लिए किए जा रहे निर्माण कार्य ने इस जगह से उसके कई महत्वपूर्ण कार्य करने की क्षमता छीन ली है.

खबरें तो यह भी हैं कि निर्माण के दौरान निकल रहे कचरे को यमुना में ही डाल दिया जा रहा है. लेकिन श्री श्री रविशंकर की संस्था ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि इस समारोह से पर्यावरण को कोई गंभीर नुकसान नहीं पहुंचाया गया.

उनकी संस्था कई नदी संरक्षण कार्यक्रमों से भी जुड़ी हुई है, जिसमें महाराष्ट्र के जल स्रोतों से सिल्ट निकालने का अभियान जल जागृति अभियान और यमुना को साफ करने का अभियान मेरी दिल्ली मेरी यमुना भी शामिल हैं.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के खिलाफ जाकर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’  यमुना के खादर में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.
श्री श्री रविशंकर.(फोटो: Wikimedia Commons)
‘आर्ट ऑफ लिविंग’ पर्यावरण का सम्मान करती है. हमने देश के कानून को कभी नहीं तोड़ा, और ना ही आगे तोड़ेंगे. हमने विश्व सास्कृतिक कार्यक्रम के लिए माननीय अदालत व अन्य अधिकारियों के सभी आदेशों और निर्देशों का पालन किया है, और आगे भी करेंगे.
प्रवक्ता, आर्ट ऑप लिविंग
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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के खिलाफ जाकर ‘आर्ट ऑफ लिविंग’  यमुना के खादर में एक कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है.
कार्यक्म के लिए बन रही स्टेज के ऊपर फाइबरग्लास के गुंबद बनाए जाएंगे. (फोटो: सिद्धार्थ सफाया)

एक साल पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने यमुना के खादर में किसी भी तरह के निर्माण कार्य को निषेध करते हुए एक आदेश पारित किया था, ताकि नदी के आसपास के प्राकृतिक पर्यावरण को बचाए रखा जा सके. इस इलाके में निर्माण कार्य के लिए जितने भी आवेदन आए, उन्हें नकार दिया गया.

पिछले हफ्ते ट्रिब्यूनल ने निर्देश दिए कि खादर को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए आर्ट ऑफ लिविंग से 100 से 120 करोड़ का जुर्माना वसूल किया जाए जिसे ईकोसिस्टम को हुए नुकसान की भरपाई की जा सके. ईकोसिस्टम की भरपाई में कम से कम एक साल लगेगा.

आप ऊंचे रसूख वालों को फायदा नहीं पहुंचा सकते. कानून के लिए सब बराबर हैं. हम इस निर्माण कार्य को एक और मिनट के लिए भी नहीं होने देना चाहते. 
आनंद आर्य, समारोह के खिलाफ याचिकाकर्ता

इस समारोह को रोकने न रोकने के निर्णय पर ट्रिब्यूनल मंगलवार को सुनवाई करेगा.

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