नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कहा है कि 'आर्ट ऑफ लिविंग' के 'वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल' प्रोग्राम से यमुना तट को भारी नुकसान हुआ है. एनजीटी ने कहा कि यमुना तट को जो नुकसान हुआ है, उसे दोबारा बसाने में 10 साल का वक्त लगेगा और करीब 13.29 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
पिछले साल श्रीश्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने यमुना के किनारे वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल का आयोजन किया था.
एनजीटी ने जल संसाधन मंत्रालय के सचिव शशि शेखर की अध्यक्षता में एक एक्सपर्ट कमेटी गठित की थी. कमेटी ने 47 पन्नों की रिपोर्ट एनजीटी को सौपी है. इस रिपोर्ट में कहा गया है:
इस प्रोग्राम से यमुना नदी के वेस्ट में करीब 300 एकड़ और ईस्ट में करीब 120 एकड़ जमीन प्रभावित हुई है. 3 दिनों के कार्यक्रम की वजह से नदी के किनारे वाली जगहों पर पेड़ों, घास, जानवरों के रहने के स्थल, पानी में पनपने वाले वनस्पति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की भरपाई करने के लिए काम करने की जरूरत है.
एनजीटी की इस रिपोर्ट पर आर्ट ऑफ लिविंग के प्रवक्ता केदार देसाई ने कहा कि उनकी लीगल टीम मामले के सभी पहलुओं को बारीकी से देखेगी और उसके बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा.
आपको बता दें कि ऑर्ट ऑफ लिविंग ने पिछले साल 11 मार्च से 13 मार्च के तक यमुना के किनारे 'वर्ल्ड कल्चरल फेस्टिवल' प्रोग्राम का आयोजन किया था.
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