दुनियाभर की मानवाधिकार संस्थाओं ने स्टेन स्वामी के निधन पर चिंता जाहिर करते हुए उनकी कस्टडी में हुई मौत पर सवाल उठाए थे. अब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने स्टेन स्वामी के निधन पर सरकार का पक्ष रखा है.अरिंदम बागची ने कहा कि- 'फादर स्टेन स्वामी को नेशनल इन्वेस्टिंगेशन एजेंसी ने कानून के तहत गिरफ्तार किया था. कोर्ट ने उन्हें जमानत नहीं दी. भारत अपने नागरिकों के अधिकारों को सुरक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है.'
अरिंदम बागची ने कहा कि-
स्टेन स्वामी के खिलाफ विशेष प्रकृति के आरोप होने की वजह से उनकी जमानत को कोई ने ठुकराया. स्वामी के गिरते स्वास्थ्य की वजह से बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनके ट्रीटमेंट को प्राइवेट हॉस्पिटल में किए जाने की मंजूरी दी थी. उन्हें 28 मई से सभी मेडिकल सुविधाएं मिल रही थीं. भारतीय लोकतंत्र और संवैधानिक नीति के साथ स्वतंत्र न्यायपालिका भी मौजूद है. साथ ही राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय मानवाधिकार आयोग हैं. इसके अलावा स्वतंत्र मीडिया और बहुलतावादी सिविल सोसायटी भी मौजूद है.अरिंदम बागची, प्रवक्ता, भारतीय विदेश मंत्रालय
इसके पहले यूनाइटेड नेशन (UN) के ह्यूमन राइट विंग के प्रमुख मिशेल बचलेट और अमेरिका, यूरोपियन यूनियन के मानवाधिकार अधिकारियों ने फादर स्टेन स्वामी के कस्टडी के दौरान हुए निधन पर चिंता जाहिर की थी. इनमें से कुछ का कहना है कि स्टेन स्वामी को 'झूठे' आतंकवाद के आरोपों में जेल में बंद किया गया था. इसके अलावा यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने भी कहा है कि स्वामी पर 'झूठे' आरोप लगाए गए थे.
यूएन के ह्यूमन राइट्स के हाई-कमीश्नर और यूनाइटेड नेशन के स्वतंत्र विशेषज्ञों ने बार-बार स्टेन स्वामी और मानवाधिकार पर काम करने वाले 15 दूसरे लोगों का मुद्दा उठाया था जिनको भीमा कोरेगांव केस में आरोपी बनाया गया था.
देश से दुनिया तक लोगों ने स्टेन को दी श्रद्धांजलि
एल्गार परिषद केस (Elgar Parishad Case) में आरोपी फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का 5 जुलाई को निधन हो गया. आदिवासी अधिकारों पर झारखंड में काम करने वाले स्टेन स्वामी के निधन के बाद कई सारे लोग उन्हें याद कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने स्वामी के निधन पर शोक व्यक्ति किया.
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