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57,00,000 किलो स्टील से बने ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की 10 खास बातें 

अपनी जापान यात्रा के दौरान भी मोदी ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ की खासियत बताना नहीं भूले, इस प्रतिमा की खास बातें

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भारत
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दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के जरिए मोदी सरकार सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि देने की तैयारी में है. 31 अक्टूबर को पीएम मोदी इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे. 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर तमाम बहस और छोटे-मोटे प्रदर्शनों के बीच इसे भव्य तौर पर प्रचारित करने की भी तैयारी है. पीएम मोदी देश में तो कई बार इसका जिक्र कर ही चुके हैं, अपनी जापान यात्रा के दौरान भी 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' की खासियत बताना नहीं भूले.

ऐसे में जानते हैं इस प्रतिमा से जुड़ी कुछ खास बातें

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  • 182 मीटर ऊंची 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है, इसके बाद चीन की स्प्रिंग टेंपल बुद्धा (153 मीटर), जापान की Ushiku Daibutsu (120 मीटर) और अमेरिका की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर) का नंबर है.
  • गुजरात के नर्मदा जिला के केवड़िया में ये मूर्ति स्थापित की गई है. पूरे प्रोजेक्ट पर कुल 2989 करोड़ का खर्च आया है और इसे चार साल में पूरा करने का प्लान था.
  • लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की इस प्रतिमा के लिए 'लोहा दान' कैंपेन चलाया गया था. देश के कई कोने-कोने से आम लोगों से लोहा दान में मांगा गया था. जिसे पिघला कर प्रतिमा को बनाने में इस्तेमाल किया गया.
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  • 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को बनाने में 5,700 मीट्रिक टन यानी करीब 57 लाख किलोग्राम स्ट्रक्चरल स्टील का इस्तेमाल हुआ. साथ ही 18,500 मीट्रिक टन छड़ भी इसमें लगा है.
  • प्रतिमा को बनाने के लिए 2 करोड़ 25 लाख किलोग्राम सीमेंट का इस्तेमाल किया गया.
  • 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' के पास दर्शकों के लिए 153 मीटर लंबी गैलरी बनाई गई है, जिसमें एक साथ 200 विजिटर आ सकते हैं. प्रतिमा को बनाने के लिए 42 महीने का समय तय था और ये साफ तौर पर तय था कि ये तारीख आगे नहीं बढ़ेगी.
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  • 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' को ऐसे डिजाइन किया गया है कि भूकंप का झटका या 60 मीटर/सेकेंड जितनी हवा की रफ्तार भी इस प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती.
  • इस प्रोजेक्ट से हर साल करीब 15 हजार आदिवासी समुदाय के लोगों को नौकरी मिलेगी. हालांकि, नर्मदा जिला के केवड़िया में स्थानीय आदिवासी संगठनों ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का नकारात्मक प्रभाव आदिवासी समुदाय पर पड़ेगा और वो पीएम मोदी के विरोध की तैयारी कर रहे हैं.
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  • आदिवासी शिकायत कर रहे हैं कि उनकी जमीनें 'सरदार सरोवर नर्मदा प्रोजेक्ट', उसके नजदीक बन रहे 'स्टेच्यू ऑफ यूनिटी', और दूसरे पर्यटन गतिविधियों के लिए ले ली गई हैं.
  • कंस्ट्रक्शन कंपनी लार्सन एंड टूर्बो (L&T) ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी प्रोजेक्ट को दिसंबर 2014 में शुरू किया था, इस प्रोजेक्ट में प्रतिमा के साथ ही साथ यहां एक म्यूजियम में सरदार पटेल के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर लाइट एंड साउंड शो भी होगा.
  • स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के ऊपरी हिस्से में 306 मीटर पैदल पथ को पूरी तरह से मार्बल से तैयार किया गया है.

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