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‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के लिए बनारस से चली ट्रेन, वोटबैंक पर भी नजर

31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती है

Published
भारत
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वडोदरा में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के अनावरण में शामिल होने वालों के लिए बनारस से एक स्पेशल ट्रेन मंगलवार की सुबह रवाना हुई है. इसका नाम एकता ट्रेन यात्रा रखा गया है. इसमें ज्यादा तादाद पूर्वांचल के पटेल बिरादरी और अपना दल के कार्यकर्ताओं की है.

ट्रेन को केंद्रीय मंत्री और अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने वाराणसी से झंडा दिखाकर रवाना किया. मामला 'यूनिटी ऑफ वोट' का भी है, इसलिए उन्‍होंने खुद भी कार्यकर्ताओं के साथ मिर्जापुर तक सफर की.

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31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती है. इस अवसर पर उनकी 182 मीटर ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया जा रहा है. इसके लिए वाराणसी के साथ-साथ पूर्वांचल के लगभग सभी जिलों से अपना दल के लोग जा रहे हैं. पूरी ट्रेन को अपना दल के झंडे से पाट दिया गया है.

सरदार पटेल के सम्‍मान के बहाने...

अपना दल पिछड़ी जाति कुर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाला दल है, लिहाजा ज्यादातर उसी के लोग इस ट्रेन से वडोदरा गए हैं, जिन्हें इस बात का गर्व भी है कि सरदार पटेल को अब तक की सरकारों ने उपेक्षित रखा, लेकिन बीजेपी के गठबंधन में उन्हें सम्मान मिल रहा है.

31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती है

अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष और मोदी सरकार में राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल के मुताबिक, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दुनिया में सबसे ऊंची 182 मीटर ऊंची उनकी प्रतिमा पूरे राष्ट्र को समर्पित करने जा रहे हैं. इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह उत्तर प्रदेश के नौजवान, किसान और महिलाएं बनें, इसलिए ही उन्‍होंने ट्रेन यात्रा शुरू की है.

मंगलवार को सुबह करीब दस बजे स्पेशल ट्रेन वडोदरा के लिए निकली, जो चुनार, मिर्जापुर, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, लखनऊ व कानपुर होकर जाएगी और अपना दल के कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करते हुये 31 अक्टूबर को वडोदरा पहुंचेगी. इस कार्यक्रम को लेकर दल के नेता कार्यकर्ताओं में जोश भरते नजर आए.

सोनभद्र जिले में अपना दल के नेता सत्यनारायण सिंह पटेल ने बताया, ''सरदार पटेल साहब आदर्श पुरुष थे. हर समुदाय उनको सम्मान देता है. खंड-खंड भारत को अखंड स्वरूप प्रदान करने वाले ऐसे लौहपुरुष सरदार वल्‍लभभाई पटेल को सत्तर सालों से उपेक्षित किया गया था. लेकिन बीजेपी और अपना दल गठबंधन की सरकार पिछड़े वर्ग और हर वर्ग-समुदाय को एकसामान इज्जत दे रही है.''

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31 अक्टूबर को सरदार वल्लभभाई पटेल की 143वीं जयंती है

चुनाव का वक्त है, तो हर बात में राजनीति होगी और हर राजनीति के अपने-अपने मायने भी निकाले जाएंगे. अब बीजेपी ने भले ही सरदार पटेल को देश के महान नेता बताते हुए उनके अमूल्य योगदान को समर्पित करते हुए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी तैयार की है, लेकिन इसे एक खास वर्ग को साधने की राजनीतिक गोटी भी कहा जा रहा है.

पूर्वांचल की राजनीति को साधने की तैयारी

ट्रेन चलाने की तरकीब को पूर्वी उत्तर प्रदेश के इलाकों में पटेल समुदाय को साधने की कोशिश के तौर पर माना जा रहा है. पूर्वांचल के लगभग सभी सीटों पर पटेल बिरादरी की अच्छी-खासी धमक है. यूपी में करीब 12 फीसदी कुर्मी हैं, जो एक मजबूत वोटबैंक है और सरदार पटेल की मूर्ति का इस पर सीधा प्रभाव हो सकता है.

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