लगभग 42 हजार से भी ज्यादा लोगों का पैसा लेकर धोखाधड़ी करने वाले आम्रपाली ग्रुप के चेयरमैन अनिल शर्मा आजकल सुर्खियों में बने हैं. लोगों ने अपने घर के लिए उन्हें करोड़ों रुपये दिए थे, लेकिन न घर मिला और न ही आम्रपाली उनके पैसे लौटा रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछली कई सुनवाइयों में आम्रपाली के मालिक अनिल शर्मा को जमकर लताड़ा है. कोर्ट ने आम्रपाली को सबसे बड़ा झूठा ग्रुप बताया है और कहा है कि क्यों उन्होंने लोगों के हजारों करोड़ों रुपये कहीं और इनवेस्ट कर दिए. हम आपको बता रहे हैं इसी आम्रपाली ग्रुप के मालिक की पूरी कहानी. कैसे उन्होंने अपना पूरा एंपायर खड़ा किया और किस तरह से लोगों की गाढ़ी कमाई पर हाथ साफ किया.
बीटेक से लेकर एमबीए का सफर
बिहार के पटना से करीब 70 किलोमीटर दूर पंडारक गांव के मूल निवासी अनिल शर्मा ने सबसे पहले इंजीनियरिंग में हाथ आजमाया. उन्होंने एनआईटी कालीकट से बीटेक की डिग्री ली. वहीं आईआईटी खड़गपुर से एमटेक भी किया. जिसके बाद उन्होंने एनटीपीसी, एनपीपीसी जैसी कंपनियों में नौकरी की. इसके बाद अनिल ने एमबीए भी किया. लेकिन उनकी जिंदगी का असली टर्निंग पॉइंट दिल्ली आना था. साल 2002 में उन्होंने दिल्ली में रियल एस्टेट के कारोबार में हाथ डाला.
पहला प्रोजेक्ट आम्रपाली एक्जॉटिका
रियल एस्टेट में कदम रखते ही अनिल शर्मा ने अपना पहला प्रोजेक्ट आम्रपाली एक्जॉटिका लॉन्च किया. जिसमें करीब 140 फ्लैट बनाए गए. इसी तरह उन्होंने अपने प्रोजेक्ट लॉन्च करना शुरू किया और रियल एस्टेट मार्केट में अपना एक बड़ा नाम भी बनाने में सफल हो गए. देश के कई शहरों में उनके मेगा प्रोजेक्ट शुरू हुए, जिसमें उन्होंने लोगों को हर तरह के फ्लैट दिए. आम्रपाली ने अपना एक ऐसा वजूद तैयार कर लिया था कि अब कोई भी इस कंपनी पर करोड़ों रुपये लगाने को तैयार था. इसके बाद उन्होंने क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी को अपना ब्रैंड अंबेसडर बनाया. जिससे लोगों का भरोसा दोगुना हो गया.
फिल्म प्रोडक्शन और राजनीति
आम्रपाली के मालिक अनिल शर्मा ने कई और बिजनेस और प्रोफेशन में भी हाथ आजमाया. उन्होंने फिल्म प्रोडक्शन से लेकर राजनीति में भी आने के लिए ट्राई किया, हालांकि दोनों ही मामले में उन्हें इतनी सफलता नहीं मिली. दो बार चुनावी मैदान में उतरे, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. लेकिन रियल एस्टेट और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में उनका सफर शानदार रहा और उन्होंने देश के कई शहरों में पैर पसार दिए.
ऐसे शुरू हुआ बुरा दौर
एक दौर था जब अनिल शर्मा और आम्रपाली के सितारे बुलंदी पर थे. लेकिन बालिका विद्यापीठ लखीसराय के सचिव शरद चंद्र की हत्या मामले में आरोपी बनने के बाद उनका बुरा दौर शुरू हो चुका था. इस मामले में अनिल शर्मा पर मुकदमा दर्ज हुआ था. यह उनकी इमेज पर लगा पहला बड़ा धब्बा साबित हुआ था. लेकिन इसके बाद अचानक खबर आई कि आम्रपाली के कई करोड़ों के चेक बाउंस हो चुके हैं. इसके अलावा ड्रीम वैली प्रोजेक्ट को लेकर बड़ा खुलासा हुआ. इस प्रोजेक्ट में लोगों से पैसे तो ले लिए गए थे, लेकिन पूरे फ्लैट नहीं बनाए गए. इसी तरह कई प्रोजेक्ट अधर में लटक गए. आम्रपाली के 42 हजार फ्लैट्स का आवंटन अटका पड़ा है.
सुप्रीम कोर्ट का शिकंजा
अनिल शर्मा की कंपनी के 42 हजार फ्लैट न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली पर शिकंजा कसना शुरू किया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली ग्रुप के मालिक और उससे जुड़ी 40 अन्य कंपनियों के एमडी के बैंक अकाउंट फ्रीज करने का फैसला लिया. इसके अलावा कोर्ट ने मालिकों की अचल संपत्ति को भी जब्द करने का फरमान सुनाया है.
कोर्ट ने कहा कि आम्रपाली ने लाखों खरीददारों से धोखाधड़ी की है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और बिहार में स्थित आम्रपाली ग्रुप के 9 ऑफिसों को सील करने के आदेश दिए, जहां ग्रुप की 46 कंपनियों से संबंधित दस्तावेज रखे गए हैं. कोर्ट ने आम्रपाली के तीनों निदेशकों अनिल शर्मा, शिव प्रिया और अजय कुमार की सभी तरह की अचल संपत्तियों को जब्त करने का भी आदेश दिया है.
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