आरक्षण की मांग को लेकर जाट समुदाय ने गुरुवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया. जाट समुदाय के लोगों ने अपना आंदोलन तेज करने और 20 मार्च को दिल्ली में संसद का घेराव करने की चेतावनी दी है.
इससे पहले गुरुवार को संसद मार्ग पर पुलिस बैरिकेड को तोड़ने का प्रयास करने के बाद कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया. आंदोलनकारियों ने बाद में अपनी सात सूत्रीय मांग राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखीं.
आंदोलन का संचालन कर रही ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने बीजेपी की राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार पर मांगों को 'नजरअंदाज' करने का आरोप लगाया है.
ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा-
हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा हमारी मांगों को नरअंदाज किए जाने के खिलाफ हम प्रदर्शन कर रहे हैं. कम से कम 33 दिनों से हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं. राज्य और केंद्र सरकार हमारी मांगों के प्रति असंवेदनशील है. सरकार को नींद से जगाने के लिए हम 20 मार्च को एक व्यापक आंदोलन शुरू करेंगे.
यशपाल मलिक के मुताबिक जाट समुदाय लंबी लड़ाई के लिए तैयार है. 3 राज्यों के 50 लाख जाट, आंदोलन में हिस्सा लेंगे.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली और पंजाब से आए प्रदर्शनकारी आरक्षण की मांग को लेकर इकट्ठा हुए थे. साथ ही उनकी मांग है कि 2016 जाट आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजनों को नौकरी दी जाए, जाट समुदाय के लोगों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाए और मामले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो.
आपको बता दें कि फरवरी 2016 में जाट आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में 30 लोग मारे गए थे, जबकि 200 से अधिक लोग घायल हुए थे. इस दौरान हजारों करोड़ रुपये की सरकारी और निजी संपत्ति का नुकसान हुआ था.
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