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सरकार से मिली नौकरशाही जिहाद शो दिखाने की इजाजत:सुदर्शन न्यूज

सुदर्शन न्यूज के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने सिविल सर्विस में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या को नौकरशाही जिहाद कहा था.

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भारत
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सुदर्शन न्यूज के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने दावा किया है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें 'नौकरशाही में मुसलमानों की बढ़ती घुसपैठ' पर यूपीएससी जिहाद शो को प्रसारित करने की इजाजत दे दी है.

यह शो, पहले 28 अगस्त को चैनल पर प्रसारित किया जाना था, लेकिन उससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी.

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सुरेश चव्हाणके ने शो के प्रसारण को लेकर ट्वीटकर कहा,

सत्यमेव जयते, दिल्ली हाईकोर्ट ने सुदर्शन पर लगाए प्रतिबंध पर हिन्दुस्तान सरकार की राय मांगी थी, सरकार ने प्रसारण से पूर्व रोक लगाने से मना किया है.सुप्रीम कोर्ट का पहले ही यह निर्णय था. अब शुक्रवार 8pm #नौकरशाही_जिहाद #UPSCJihad पर एतिहासिक Bindas Bol होगा

इससे पहले हाईकोर्ट ने शो के प्रसारण पर रोक लगा दी थी, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने प्रसारण के पहले शो पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था. एडवोकेट फिरोज इकबाल खान ने शो के प्रसारण पर रोक के लिए याचिका लगाई थी, जिसपर पर DY चंद्रचूड़ और के एम जोसेफ की बेंच ने सुनवाई की थी. बेंच ने केंद्र, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया, न्यूज ब्रॉडकॉस्टर्स एसोसिएशन और सुदर्शन चैनल को नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब 15 सितंबर तक देना था.

क्या है सुदर्शन न्यूज का नौकरशाही जिहाद का विवाद?

दरअसल, सुदर्शन टीवी के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने सोशल मीडिया पर अपने शो का एक प्रोमो वीडियो पोस्ट किया था. जिसमें उन्होंने सिविल सर्विस में मुस्लिमों की बढ़ती संख्या को नौकरशाही जिहाद और यूपीएससी जिहाद कहा था.

सुरेश चव्हाणके ने ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा था,

“सावधान लोकतंत्र के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ कार्यपालिका के सबसे बड़े पदों पर मुस्लिम घुसपैठ का पर्दाफाश. #UPSC_Jihad #नौकरशाही_जिहाद देश को झकझोर देने वाली इस सीरीज का लगातार प्रसारण प्रतिदिन. शुक्रवार 28 अगस्त रात 8 बजे से सिर्फ सुदर्शन न्यूज पर.”

इसी के विरोध में लेकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के एक छात्र ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर इस शो के टेलीकास्ट को रोकने की मांग की थी. इस पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए इस विवादित शो पर रोक लगाने का आदेश दिया था. वहीं दूसरी ओर इस विवादित शो को लेकर जमकर आलोचना भी हुई और कई बड़े अधिकारियों ने उनके खिलाफ कार्रवाई की बात कही थी.

सूचना और प्रसारण मंत्रालय मंत्रालय के आदेश में क्या है?

सूचना और प्रसारण मंत्रालय के जिस आदेश का हवाला सुरेश चव्हाणके दे रहे हैं, उसके मुताबिक अगर कार्यक्रम के कंटेंट से किसी तरह नियम-कानून का उल्लंघन होता है तो चैनल के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. साथ ही मंत्रालय ने ये भी कहा है कि कार्यक्रम प्रसारित होने से पहले उसरी स्क्रिप्ट नहीं मांगी जा सकती और ना ही उसके प्रसारण पर रोक लगाया जा सकता है.

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