सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) ने सोमवार को सुपरटेक(Supertech) के एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट के जुड़वां टावरों को तोड़ने के लिए नोएडा प्राधिकरण द्वारा फाइनल की गई विध्वंस एजेंसी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
जब डेवलपर ने सूचित किया कि वह नोएडा प्राधिकरण द्वारा अंतिम रूप दी गई एजेंसी के लिए सहमत हो गया है, तब सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर विध्वंस एजेंसी "एडिफिस" के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का निर्देश दिया.
सुपरटेक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, "फिलहाल हम विध्वंस के लिए एनओसी लेने की प्रक्रिया में हैं." न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी.
12 जनवरी को, शीर्ष अदालत ने नोएडा प्राधिकरण को एजेंसी के नाम को अंतिम रूप देने के लिए कहा था जिसे सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग प्रोजेक्ट के जुड़वां टावरों को ध्वस्त करने का काम दिया जाएगा. सुपरटेक ने शीर्ष अदालत को यह भी सूचित किया कि वह उन घर खरीदारों के लिए धनवापसी प्रक्रिया शुरू करेगी जिनके फ्लैटों को ध्वस्त कर दिया जाएगा.
सुपरटेक करेगा खरीददारों की पैसे की वापसी
सुप्रीम कोर्ट ने 12 जनवरी को सुपरटेक के निदेशकों को 17 जनवरी तक घर खरीदारों को पैसे वापस करने या जेल का सामना करने की चेतावनी दी थी. रियल एस्टेट फर्म ने अदालत को बताया कि उसने घर खरीदारों से उनके खाते का विवरण मांगा है और वह मंगलवार (18 जनवरी) की सुबह से पैसे ट्रांसफर करना शुरू कर देगी.
बता दें कि पिछले साल 31 अगस्त को, सुप्रीम कोर्ट ने सुपरटेक को तीन महीने के भीतर 40 मंजिला ट्विन टावरों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था और नोएडा के अधिकारियों के खिलाफ नियमों के उल्लंघन में नक्शे और भवन योजनाओं को मंजूरी देने के लिए मुकदमा चलाने का निर्देश दिया था.
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