“एक दोषी व्यक्ति खुद चुनाव नहीं लड़ सकता है, तो फिर एक राजनीतिक दल का चीफ कैसे बन सकता है और चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार कैसे चुन सकता है?” ये सवाल सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उठाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दोषी करार दिए नेताओं के पार्टी अध्यक्ष बने रहने को लेकर चिंता जताई है.
दरअसल, बीजेपी नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. अश्वनी ने चुनाव आयोग से राजनीति को दोषमुक्त करने और राजनीतिक पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र के लिए निर्देश मांगा था.
याचिका में ‘ओम प्रकाश चौटाला, शशिकला, लालू यादव जैसे नेताओं का जिक्र किया गया है, जो दोषी करार दिए जाने के बाद भी अपनी पार्टी के चीफ बने हुए हैं.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
ये बड़ी अलग स्थिति है कि कोई व्यक्ति चुनाव तो नहीं लड़ सकता लेकिन वो राजनीतिक पार्टी बना कर चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवारों का चयन कर सकता है. बहुत संभव है कि चुने हुए उम्मीदवारों में से कुछ जीतकर सरकार में भी शामिल हो जाएं. ऐसे लोग अगर स्कूल या कोई दूसरी संस्था बनाते हैं तो कोई समस्या नहीं है लेकिन वो एक पार्टी बना रहे हैं जो सरकार चलाएगी, ये सोचने की बात है.
राजनीति में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि यह गंभीर मामला है. कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि राजनीति में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. और चुनाव की शुद्धता के लिए भ्रष्टाचार को बहिष्कृत किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषी व्यक्ति अकेले कुछ नहीं कर सकते, इसलिए अपने जैसे लोगों का एक संगठन बनाकर अपनी मंशा पूरी करते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब देने को और अपना रुख साफ करने को कहा है. अब इस मामले पर 26 मार्च को सुनवाई होगी.
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