नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट यानी NEET को लेकर खूब चर्चा चल रही है. लगातार भारत में इस परीक्षा को टालने की मांग की जा रही है. तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने ऐसी मांग की है. लेकिन इसी बीच सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया है कि विदेशों में एग्जाम सेंटर बनाए जाने को मंजूरी नहीं दी जा सकती है. कोर्ट ने इसके लिए छात्रों को दूसरा विकल्प देते हुए सरकार से कहा कि NEET परीक्षा देने वाले छात्रों को वंदे भारत मिशन के तहत आने की मंजूरी दी जानी चाहिए.
किसने दायर की थी याचिका?
हालांकि जो स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स भारत आते हैं, उन्हें 14 दिन का इंस्टीट्यूशनल क्वॉरंटीन पूरा करना होगा. ये याचिका मिडिल ईस्ट देशों में रहने वाले छात्रों के पेरेंट्स ने दायर की थी. जिनमें से अब्दुल अजीज भी एक हैं, जिनके बच्चे को ये परीक्षा देनी है. जिसमें कहा गया था कि JEE की तरह NEET के भी विदेशों में ही सेंटर होने चाहिए. क्योंकि इस कोरोना काल में स्टूडेंट्स का भारत आना संभव नहीं है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.
कतर में रहने वाले अब्दुल अजीज का कहना है कि नीट परीक्षा देने वाले करीब 4 हजार छात्र मिडिल ईस्ट देशों में फंसे हुए हैं.
मेडिकल काउंसिल ने क्या जवाब दिया?
सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका के बाद मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया से भी जवाब मांगा गया था. जिसके बाद काउंसिल की तरफ से पूरे मामले को लेकर एक हलफनामा दाखिल किया गया. जिसमें बताया गया कि नीट परीक्षा पेपर बुक फॉरमेट में आयोजित कराई जाती है. जो सभी छात्रों के लिए लागू होता है.
विदेशों में एग्जाम सेंटर को लेकर मेडिकल काउंसिल ने कहा कि परीक्षा को एक ही समय पर सभी जगहों पर कराया जाता है. ऐसे में अगर विदेशों में परीक्षा कराई जाती है तो एक ही समय पर हर जगह परीक्षा होना नामुमकिन होगा, क्योंकि अलग-अलग देशों का टाइम जोन अलग है. इसके अलावा लॉजिस्टिक की समस्या और टेस्ट पेपर की सुरक्षा भी एक परेशानी है.
मेडिकल काउंसिल ने कहा कि अगर एक ही वक्त पर सभी जगह परीक्षा नहीं होती है तो इस एग्जाम की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकता है. क्योंकि इससे मुमकिन है कि पेपर लीक हो जाए. साथ ही दुनियाभर में एक ही पेपर को बांटना भी नामुमकिन जैसा है. काउंसिल ने सुप्रीम कोर्ट में ये भी कहा कि भारत सरकार विदेशों में रहने वाले लोगों की वापसी के लिए वंदे भारत मिशन चला रही है, इसीलिए जिन छात्रों को परीक्षा देनी है वो भारत आ सकते हैं.
विदेशों में रहने वाले छात्रों के लिए NEET जरूरी
बता दें कि साल 2017 तक एनआरआई (नॉन रेजिडेंट इंडियन) और पीआईओ (पर्सन ऑफ इंडियन ओरिजिन) छात्रों को अगर भारत में किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेना होता था तो वो अपने बोर्ड एग्जाम के नंबरों के आधार पर आवेदन कर सकते थे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश जारी किया कि एनआरआई, पीआईओ, ओसीआई (ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया) और विदेशी छात्रों को अगर भारत के मेडिकल कॉलेज में दाखिला चाहिए तो उन्हें NEET परीक्षा देनी होगी.
NEET परीक्षा को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कहा है कि बीजेपी सरकार को छात्रों के मन की बात सुननी चाहिए और इस परीक्षा को टाल देना चाहिए. साथ ही इस परीक्षा के विरोध में विदेश में रहने वाले छात्रों ने भी प्रदर्शन किए और भूख हड़ताल की. छात्रों की मांग है कि जैस 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को रद्द किया गया, वैसे ही UGC-NET, CLAT, NEET और JEE परीक्षा को भी आगे बढ़ाना चाहिए.
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