दिल्ली में पानी के सैंपल विवाद पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने NGT के आदेश के साथ हस्तक्षेप करने से किया मना कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने आरओ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन को संबंधित मंत्रालय से संपर्क करने के लिए 10 दिन का समय दिया है.
अपनी दलील में आरओ मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ने SC को राष्ट्रीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट का हवाला दिया.
दिल्ली में आरओ फिल्टर के उपयोग पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के प्रतिबंध के खिलाफ वॉटर क्वॉलिटी इंडिया एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी . उनका कहना है कि राष्ट्रीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली का पानी पीने लायक नहीं है. ऐसे में इस प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए.
क्या है NGT का आदेश?
एनजीटी ने उन इलाकों में आरओ के इस्तेमाल पर रोक लगाने का आदेश दिया है, जहां प्रति लीटर पानी में टोटल डिसॉल्वड सोलिड्स (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम से कम हो. साथ ही लोोगों को बिना खनिज पदार्थ वाले पानी के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करने के लिए भी कहा. एनजीटी ने सरकार से यह भी कहा है कि देशभर में जहां भी आरओ की अनुमति दी गई है वहां 60 प्रतिशत से ज्यादा पानी पुन: इस्तेमाल किया जाना अनिवार्य हो.
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था, 'पर्यावरण एवं वन मंत्रालय उन स्थानों पर आरओ के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाली उचित अधिसूचना जारी कर सकता है जहां पानी में टीडीएस 500 एमजी प्रति लीटर से कम है और जहां भी आरओ की अनुमति है वहां यह सुनिश्चित किया जाए कि 60 प्रतिशत से अधिक पानी को पुन: इस्तेमाल में लाया जाए.'
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