सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह डिजिटल होने जा रहा है. अगर सब कुछ ठीक रहा तो, कुछ ही दिनों बाद कोर्ट में सैकड़ों पन्नो वाली याचिका बीते दिनों की बात हो जाएगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जेएस खेहर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट अगले 6 से 7 महीने में पूरी तरह पेपर लेस हो जाएगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट में प्रतिदिन करीब 70,000 याचिका दायर होती हैं. प्रत्येक याचिका में तकरीबन 100 पेज होते हैं. इस हिसाब से एक साल में औसतन 70 लाख पेज की जरुरत पड़ती है. सुप्रीम कोर्ट के डिजिटल होने से हर साल करीब 50 लाख पेपर की बचत होगी. इससे पर्यावरण को बड़े पैमाने पर फायदा होगा.
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने यह बात कही.
हम पर्यावरण के संरक्षण की बात करते हैं, लेकिन माफी के साथ मैं यह कहना चाहती हूं कि सबसे ज्यादा पेपर की बर्बादी सुप्रीम कोर्ट में ही होती है. मैं मानती हूं कि हम इसका प्रयोग कम कर सकते हैं.इंदिरा जयसिंह, सीनियर एडवोकेट
जस्टिस खेहर ने कहा,
आगामी 6 महीने के बाद आपको कोई पेपर जमा करने की जरुरत नहीं पड़ेगी.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसएस कौल की बेंच ने कहा कि हम हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट से सभी रिकॉर्ड इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में ले लिया करेंगे. कोर्ट के पास सभी रिट याचिका, अपील, हलफनामा और एप्लीकेशन डिजिटली मौजूद रहेंगे. कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता को सिर्फ यह बताना होगा कि वह किस निचली अदालत के किस फैसले को चुनौती दे रहा है.
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