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बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने CJI और 3 जजों से की मुलाकात, ये रहा नतीजा

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस के साथ चार सीनियर जजों के मतभेद पर गंभीर चिंता जताई.

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भारत
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के 7 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को चीफ जास्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा से उनके आवास पर मुलाकात की. बीसीआई अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा, ‘‘हमने सीजेआई से एक सौहार्दपूर्ण माहौल में मुलाकात की और उन्होंने कहा कि हर चीज का जल्द ही हल हो जाएगा.’’

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इसके अलावा प्रतिनिधिमंडल ने जस्टिस जे.चेलमेश्वर, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ से मुलाकात की. ये तीनों उन चार जजों में से हैं जो चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा से मतभेदों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सामने आए थे.

मिश्रा ने कहा कि तीनों जजों ने भी भरोसा दिलाया कि हर चीज को सुलझा लिया जाएगा. मिश्रा ने आगे कहा कि बार कांउिसल की भूमिका बहुत सीमित है और न्यायाधीशों ने भरोसा दिलाया है कि कोई समस्या नहीं होगी.

प्रतिनिधिमंडल और जस्टिस चेलमेश्वर की मुलाकात करीब 45 मिनट हुई.

प्रतिनिधिमंडल ने इससे पहले जस्टिस आर.के. अग्रवाल और उसके बाद जस्टिस ए. एम. खानविलकर से मुलाकात की थी. इसके बाद प्रतिनिधिमंडल ने न्यायाधीश अरुण मिश्रा से मुलाकात की.

दिल्ली बार एसोसिएशन ने दी चेतावनी

दिल्ली डिस्ट्रिक्ट कोर्ट बार एसोसिएशनों की समन्वय समिति ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा संकट 10 दिनों के अंदर नहीं सुलझने की स्थिति में लोगों के बीच जाने की चेतावनी दी. साथ ही, इसने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों के दबाव बनाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.

समिति की एक प्रेस रिलीज में कहा गया है,

हम यह चाहते हैं कि प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को न्यायालय को सुव्यवस्थित रखना चाहिए और चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों की शिकायतें सीजेआई द्वारा फौरन दूर की जानी चाहिए.

बार काउंसिल हुआ एक्टिव

सुप्रीम विवाद को सुलझाने के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया का एक प्रतिनिधि मंडल जस्टिस चेलमेश्वर के घर पहुंचा. इसमें बीसीआई चेयरमैन मनन मिश्रा भी शामिल थे. बार काउंसिल के सदस्यों के बाद जस्टिस नागेश्वर राव और जस्टिस एसए बोबड़े जस्टिस चेलमेश्वर के आवास पहुंचे.

‘सुप्रीम कोर्ट में संवैधानिक संकट नहीं’

सवाल उठाने वाले 4 में से 3 जज दिल्‍ली से बाहर थे लेकिन रविवार दोपहर तक लौट सभी लौट आए. जस्‍ट‍िस कुरियन जोसेफ ने कोच्चि में कहा कि सुप्रीम कोर्ट में कोई भी संवैधानिक संकट नहीं है और जो मुद्दे उन लोगों ने उठाए हैं, उनके सुलझने की पूरी संभावना है.

हमने एक उद्देश्य को लेकर ऐसा किया था. मेरे विचार से यह मुद्दा सुलझता दिख रहा है. यह किसी के खिलाफ नहीं था, न ही इसमें हमारा कुछ स्वार्थ था. यह सुप्रीम कोर्ट में ज्यादा पारदर्शिता लाने के मकसद से किया गया था. मुद्दे के हल के लिए किसी बाहरी हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है.”
जस्‍ट‍िस जोसेफ 
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जस्टिस जोसेफ ने कहा कि मामला राष्ट्रपति के संज्ञान में नहीं लाया गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट या उसके न्यायाधीशों को लेकर उनकी कोई संवैधानिक जिम्मेदारी नहीं है. उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश की ओर से कोई संवैधानिक चूक नहीं हुई है, बल्कि उनकी जिम्मेदारी पूरी करते समय सहमति, चलन और प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए.

चार न्यायाधीशों में शामिल जस्टिस रंजन गोगोई ने संकट के हल के लिए आगे की दिशा के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘कोई संकट नहीं है.’’

(इनपुटः IANS, PTI से)

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