जम्मू-कश्मीर के होल्डिंग सेंटर में मौजूद करीब 160 से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि किसी भी रोहिंग्या मुसलमान को तब तक वापस म्यांमार नहीं भेजा जाएगा, जब तक उनके डिपोर्टेशन के लिए उचित प्रक्रिया नहीं अपनाई जाती है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्याओं को हिरासत में रखने और उन्हें वापस उनके देश भेजने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि अंतरिम राहत देना संभव नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने रोहिंग्या मुस्लिमों को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में बने होल्डिंग सेंटर से रिहा करने की अपील को भी खारिज कर दिया.
प्रशांत भूषण ने क्या दी थी दलील?
सीजेआई एसए बोबड़े की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया है. इस बेंच में जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम भी शामिल थे. इससे पहले मामले की सुनवाई 23 मार्च को हुई थी.
तब याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के फैसले का जिक्र किया था. जिसमें कहा गया था कि म्यांमार में रोहिंग्याओं को नरसंहार का खतरा है. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि अभी म्यांमार में सत्ता मिलिट्री के पास है, ऐसे में रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजना ठीक नहीं है.
इसके अलावा कोर्ट में ये भी दलील दी गई थी कि रोहिंग्या मुस्लिमों को कठुआ के होल्डिंग सेंटर में गैरकानूनी तरीके से रखा गया है. इसके लिए यहां की एक जेल को ही होल्डिंग सेंटर में तब्दील किया गया है. इसीलिए याचिका में उनकी रिहाई की मांग की गई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)