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कोरोनाकाल में अनाथ हुए सभी बच्चों को मिले पीएम केयर्स फंड का फायदा- SC

दूसरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भिखारियों को वैक्सीन देने के संबंध में केंद्र एवं दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 27 जुलाई को एक स्वतः संज्ञान केस की सुनवाई में कहा कि पीएम केयर्स फंड (PM CARES scheme) के तहत घोषित वेलफेयर स्कीम में सिर्फ उन बच्चों को सहायता नहीं मिलनी चाहिए जो कोविड-19 के कारण अनाथ हो गए, बल्कि इस दौरान अनाथ हुए सभी बच्चों को इसके तहत कवर किया जाना चाहिए. वहीं एक दूसरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों पर भीख मांगकर गुजारा करने वालों को वैक्सीन देने के संबंध में केंद्र एवं दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया.

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हर अनाथ बच्चे को आर्थिक मदद की बात

केंद्र सरकार की तरफ से शामिल हो रहे हैं काउंसिल ने जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस एस. रविंद्र भट्ट की बेंच को बताया कि पीएम केयर्स फंड स्कीम के तहत उन बच्चों को 23 साल की उम्र तक 10 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी जिनके दोनों मां-बाप, कानूनी अभिभावक या गोद लेने वाले अभिभावक की कोविड-19 के कारण मृत्यु हो गई है.

बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस स्कीम के तहत उन तमाम बच्चों को कवर किया जाना चाहिए जो कोविड-19 महामारी के दौरान (मार्च 2020 के बाद)अनाथ हो गए हैं, चाहे मौत की वजह जो कुछ भी हो.

जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि "हमने जो आदेश पारित किया है उसमें उन सभी बच्चों को शामिल किया गया है जो इस अवधि के दौरान अनाथ हो गए, केवल कोविड-19 से मौत के कारण अनाथ हुए बच्चों को नहीं".

"केंद्र इस बारे में स्पष्टीकरण दे ,क्योंकि हम इस स्कीम के बारे में जानकारी चाहते हैं. यहां 10 लाख की सहायता सिर्फ उन बच्चों के लिए हो सकती है जिसके मां बाप कोविड के कारण मर गए. लेकिन मुझे लगता है कि यह इस अवधि में अनाथ हुए अन्य बच्चों के लिए भी यह मान्य होना चाहिए "
जस्टिस नागेश्वर राव
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भिखारियों के वैक्सीनेशन पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस

27 जुलाई को ही एक अन्य मामले में जस्टिस डीवाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस एम.आर शाह की बेंच ने भारत भर के बेघरों और भिखारियों के वैक्सीनेशन और पुनर्वास से जुड़े एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि कोर्ट इस "अभिजात्य दृष्टिकोण" के साथ फैसला नहीं लेगा की सड़कों पर किसी भी भिखारी को आने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए .

बेंच ने कहा कि वह केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर महामारी के बीच भिखारियों और बेघर लोगों के पुनर्वास, वैक्सीनेशन, भोजन और आश्रय प्रदान करने के संबंध में उनकी प्रतिक्रिया मांगेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, यह गरीबी की एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है. हम चाहते हैं कि उनका पुनर्वास हो और उन्हें और उनके बच्चों को शिक्षा मिले". साथ ही बेंच ने कहा कि इनके पास कोई विकल्प नहीं होता है और जानबूझकर कोई भी भीख नहीं मांगना चाहता है.

बेंच ने कहा कि चुकी तत्काल जिस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है, वह है ऐसे लोगों को वैक्सीन देने की. बेंच केंद्र और दिल्ली सरकार से उम्मीद करेगी कि वह इस मानवीय स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों से कोर्ट को अवगत कराएं.

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