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कर्नाटक विधायकों से लेकर महाराष्ट्र तक, SC में आज तीन अहम मामले

सुप्रीम कोर्ट कर्नाटक के बागी विधायकों सहित तीन अहम मामलों पर करेगा सुनवाई

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कई अहम मामलों की सुनवाई और उन पर फैसला आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट आज कर्नाटक के 17 बागी विधायकों पर फैसला सुना सकता है. कांग्रेस और जेडीएस के इन विधायकों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के ऑफिस को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाए जाने वाले मामले पर भी फैसला सुनाएगा. वहीं महाराष्ट्र के सियासी घमासान पर भी आज सुनवाई हो सकती है.

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कर्नाटक के बागी विधायकों पर फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के 17 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने के मामले पर सुनवाई की थी और फैसले को सुरक्षित रख लिया था. जिसके बाद बताया गया कि 13 नवंबर को इस फैसले को सुनाया जाएगा. बता दें कि कुमारस्वामी सरकार से अचानक 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिर गई. वहीं विधानसभा अध्यक्ष ने इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया. जिसके बाद इस फैसले को विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. बता दें कि कर्नाटक में खाली हुई सीटों पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने हैं.

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क्या RTI के दायरे में आएगा सीजेआई का ऑफिस?

सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के ही सीजेआई के दफ्तर को आरटीआई के दायरे में लाए जाने के मामले पर फैसला सुनाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में यह तय करेगा कि सीजेआई का दफ्तर आरटीआई कानून के तहत आएगा या नहीं. खुद सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों वाली पीठ इस मामले पर फैसला सुनाएगी.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने सीजेआई दफ्तर को आरटीआई के अंतर्गत लाने की बात कही थी.
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महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन पर सुनवाई

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही घमासान मचा है. राज्यपाल ने पहले बीजेपी फिर शिवसेना और आखिर में एनसीपी को सरकार बनाने का न्योता दिया था. लेकिन कोई भी इसमें कामयाब नहीं रहा. जिसके बाद राज्यपाल ने राष्ट्रपति शासन की घोषणा की. राज्यपाल के इस फैसले को अब शिवसेना ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. शिवसेना का आरोप है कि उन्हें राज्यपाल की तरफ से सरकार बनाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं दिया गया. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है.

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