सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर लखीमपुर खीरी हिंसा (Lakhimpur Kheri Unrest) की जांच पर उत्तर प्रदेश पुलिस की खिंचाई की है. कोर्ट ने सवाल किया कि इस मामले में केवल 23 चश्मदीद क्यों हैं. कोर्ट ने यूपी पुलिस को निर्देश दिया कि वो और गवाह लेकर आए और उन्हें सुरक्षा दे.
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, "वहां सैकड़ों किसान थे, एक रैली चल रही थी और केवल 23 चश्मदीद गवाह हैं?"
यूपी सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट को बताया कि अब तक 30 लोगों के 164 बयान दर्ज किए गए हैं, जिनमें से 23 चश्मदीद गवाह हैं.
कोर्ट ने श्याम सुंदर और पत्रकार रमन कश्यप की मौत की जांच के संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट मांगी और सरकार से मामले पर अलग से जवाब दाखिल करने को कहा.
कोर्ट ने यूपी प्रशासन को मामले में सभी गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा, "स्टेटस रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, हमने डेवलपमेंट और राज्य द्वारा उठाए गए कदमों को देखा है. जहां तक गवाहों की सुरक्षा का सवाल है, हमने देखा है कि राज्य ने पहले ही कदम उठाए हैं. हम सरकार को गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश देते हैं."
पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने की थी आलोचना
कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी यूपी सरकार और जांच की आलोचना करते हुए ये धारणा दूर करने के लिए कहा था कि वो इस मामले में टाल-मटोल कर रही है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था, "आप मामले में टाल-मटोल कर रहे हैं. कृपया उस धारणा को दूर करें."
चीफ जस्टिस ने जांच पर कहा था, "ये एक अंतहीन कहानी नहीं होनी चाहिए, बस यही हम चाहते हैं."
सुप्रीम कोर्ट 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा पर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें किसान समेत 8 लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले के मुख्य आरोपी, केंद्रीय गृहराज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आशीष मिश्र को 11 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था.
इस मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी.
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