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राफेल मामले की नहीं होगी जांच, SC ने खारिज की पुनर्विचार याचिका

राफेल मामले पर दायर की गई पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला

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सुप्रीम कोर्ट ने राफेल मामले में केंद्र सरकार को एक बार फिर क्लीन चिट दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दायर पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस सौदे की जांच के आदेश नहीं दिए जा सकते हैं. राफेल पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं.

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पिछले साल आया था फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले राफेल मामले में पिछले साल अपना फैसला सुनाया था. 10 मई को सीजेआई रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने राफेल मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 14 दिसंबर, 2018 के फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. बता दें कि दिसंबर के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील में भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया था. इस फैसले के खिलाफ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी ने पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं.

राफेल मामले पर अब तक की बड़ी बातें

  • साल 2015 अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस दौरे पर गए और उन्होंने वहां से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा की.
  • जनवरी 2016 में फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसियो होलांदे गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत आए, इसी दौरान भारत औ फ्रांस के बीच राफेल सौदे का एमओयू साइन हुआ.
  • नवंबर 2018 में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई की अध्यक्षता में गठित बेंच ने राफेल सौदे में घोटाले को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
  • 14 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की जांच को लेकर दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि राफेल डील के लिए फैसला करने की प्रक्रिया पर वास्तव में किसी प्रकार का संदेह करने की कोई वजह नहीं है. कोर्ट ने ये भी कहा था कि यह उनका काम नहीं है कि वो राफेल विमान की कीमत के मामले में पता करें.
  • मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की तरफ से कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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सरकार ने किया था विरोध

केंद्र सरकार ने पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की तरफ से राफेल डील मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका को रद्द करने की मांग की थी. सरकार ने कोर्ट में दलील दी थी कि तीनों याचिकाकर्ताओं ने अपनी समीक्षा याचिका में जिन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, उन पर सरकार का विशेषाधिकार है.

केंद्र की तरफ से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अपने दावे के समर्थन में साक्ष्य कानून की धारा 123 और सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों का हवाला दिया. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित दस्तावेज कोई प्रकाशित नहीं कर सकता क्योंकि देश की सुरक्षा सबसे ऊपर है.

केंद्र की दलील पर प्रशांत भूषण ने कहा था कि सूचना के अधिकार कानून के प्रावधान कहते हैं कि जनहित दूसरी बातों से ऊपर है और खुफिया एजेंसियों से संबंधित दस्तावेजों के अलावा किसी भी दूसरे दस्तावेज पर विशेषाधिकार का दावा नहीं किया जा सकता.

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