सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को दिल्ली में वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. चीफ जस्टिस एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की पीठ ने सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राहुल मेहरा से कहा,
"दिल्ली सरकार राजधानी में वायु प्रदूषण के लिए एक प्रमुख योगदान कारक के रूप में किसानों पर पराली जलाने का आरोप लगाना चाहती है. जबकि यह यहां प्रदूषण का एक महत्वहीन स्रोत है.
बेंच ने केंद्र के हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि पराली जलाने से सर्दियों में वायु प्रदूषण में केवल चार प्रतिशत का योगदान होता है. केंद्र के हलफनामे के अनुसार, पराली जलाने से राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर गंभीर नहीं होता है, बल्कि पीएम 2.5 और पीएम 10 में केवल 11 प्रतिशत का योगदान होता है. बेंच ने मेहरा से पूछा, "सड़कों की सफाई के लिए आपके पास कितनी मशीनें हैं?"
जैसे ही मेहरा ने इसके बारे में बताना शुरू किया, न्यायमूर्ति कांत ने कहा, "इस तरह के कमजोर बहाने हमें उस राजस्व का ऑडिट करने के लिए मजबूर करेंगे जो आप कमा रहे हैं और लोकप्रियता के नारों पर खर्च कर रहे हैं,.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मेहरा से कहा,
"हम कुछ सकारात्मक कदम चाहते हैं..आप मशीनों की संख्या कैसे बढ़ाएंगे."
बेंच ने मेहरा से कहा कि वह नगर निगमों पर बोझ न डालें, और दिल्ली सरकार से वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर स्पष्ट जवाब मांगा. मेहरा ने सड़क की सफाई की दिशा में किए गए उपायों पर कहा कि नगर निगमों को इसका विवरण देने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा जा सकता है. निर्देश मिलने के बाद मेहरा ने पीठ को बताया कि 69 मशीनें (मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीन) हैं और कहा कि सरकार वायु प्रदूषण को रोकने के लिए युद्धस्तर पर काम करेगी.
अदालत एक नाबालिग आदित्य दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पराली जलाने के मामले पर निर्देश देने की मांग की गई थी, जिससे राजधानी में वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.
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