सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर को महाराष्ट्र सरकार से रिपब्लिक न्यूज चैनल के एडिटर अर्णब गोस्वामी के खिलाफ दर्ज सभी FIR की एक लिस्ट जमा करने को कहा है. गोस्वामी के खिलाफ कई FIR पर बॉम्बे हाई कोर्ट के स्टे के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी.
अर्णब से उनकी रिपोर्टिंग में ज्यादा जिम्मेदारी दिखाने के लिए कोर्ट ने कुछ आश्वासन भी मांगे हैं. अर्णब को एक हलफनामा दायर करना होगा, जिसमें वो बताएंगे कि वो ऐसा किस तरह करेंगे. इसके अलावा गोस्वामी को कोर्ट को अपने और रिपब्लिक चैनल के खिलाफ चल रहे मामलों की जानकारी देनी है.
हाई कोर्ट में क्या हुआ था?
30 जून को हाई कोर्ट ने अर्णब के खिलाफ दो FIR पर स्टे लगा दिया था. एक FIR पालघर मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ 'मानहानिकारक टिप्पणी' करने के संबंध में है. दूसरी FIR अप्रैल में बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों के जमा होने को लेकर सांप्रदायिक नफरत फैलाने पर है. कोर्ट ने कहा था कि गोस्वामी के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए.
महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इस पर 26 अक्टूबर को CJI एसए बोबड़े, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव की बेंच ने सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि ' गिरफ्तारी या पूछताछ के समन के लिए 48 घंटे के नोटिस जैसी कुछ शर्तें हो सकती थीं, लेकिन इसके अलावा ऐसा नहीं लगना चाहिए कि कोई कानून से ऊपर है.' सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट की इसमें अथॉरिटी नहीं थी.
वहीं, अर्णब गोस्वामी की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट मे कहा कि उनके क्लाइंट और रिपब्लिक टीवी को मुंबई पुलिस अप्रैल 2020 से टारगेट कर रही है और पूरे एडिटोरियल स्टाफ के खिलाफ FIR इसी में शामिल है.
इस पर CJI बोबड़े ने प्रेस की आजादी के महत्त्व को स्वीकार करते हुए कहा कि ‘इसका मतलब ये नहीं कि पत्रकारों से उनके काम में अपराध के बारे में सवाल नहीं पूछे जा सकते.’
कोर्ट के तौर पर हमारी सबसे बड़ी चिंता समाज में शांति और सौहाद्र की है. कोई भी पूछताछ से बचा नहीं रह सकता. हम ये सुनिश्चित कर सकते हैं कि पूछताछ निजता और मर्यादा से हो, लेकिन हम चाहेंगे कि आप भी जिम्मेदारी से काम लें.
साल्वे ने कहा कि वो कोर्ट की बात समझ गए हैं लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन FIR पर कोर्ट बहस कर रहा है, उन्हें फेस वैल्यू पर नहीं ले सकते. इस पर CJI बोबड़े ने कहा कि अर्णब गोस्वामी को रिपोर्टिंग के किसी मॉडल स्टैंडर्ड को अपनाने की जरूरत नहीं है, लेकिन:
साफ कहूं तो मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता. ये हमारे सार्वजानिक संवाद का स्तर कभी नहीं था.CJI बोबड़े
CJI ने इस बात पर भी ध्यान खींचा कि हर दिन सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिक टीवी से जुड़े एक या दूसरा केस आता है. कोर्ट ने साल्वे से हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें गोस्वामी को बताना होगा कि वो इस संबंध में क्या करेंगे.
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