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SC का बड़ा ऐलान, दहेज हत्या के मामलों में क्रूरता के सबूत जरूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इविडेंस एक्ट के मुताबिक ऐसे मामलों में आरोपी के खिलाफ क्रूरता के सबूत पेश जरूरी है

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भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने दहेज हत्या से जुड़े मामलों में एक बड़ा फैसला सुनाया है. इसके मुताबिक दहेज हत्या के मामले में आरोपी की भूमिका तभी सवालों के घेरे में आएगी जब ऐसे सबूत हों कि मृतक महिला को दहेज की मांग के लिए प्रताड़ित किया गया था.

जस्टिस दीपक मिश्रा और अमिताभ रॉय की बेंच ने कहा है कि अगर अभियोजन इस बात के स्पष्ट सबूत पेश नहीं कर पाता है कि दहेज हत्या के मामले में आरोपी ने दहेज की मांग को लेकर महिला को प्रताड़ित किया था तो अधिनियम के तहत धारणा की आड लेकर व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता.

इविडेंस एक्ट के अंतर्गत दहेज हत्या के मामलों में दोषी ठहराने के लिए कुछ प्रावधान हैं. इनके तहत अगर महिला की मौत विवाह के सात साल के भीतर होती है और क्रूरता के सबूत भी मौजूद हैं तो आरोपी को प्रथमदृष्टया दोषी माना जाएगा.

पीठ ने कहा, ‘‘दहेज हत्या के मामलों में धारणा :साक्ष्य अधिनियम के अनुच्छेद 113बी के तहत: को तभी स्वीकार किया जाएगा अगर इस बात के सबूत होंगे कि आरोपी ने मृतक महिला को दहेज की मांग को लेकर प्रताड़ित किया या उसके साथ क्रूरता की और वह भी इस हद तक कि उसकी परिणति मौत के रुप में हुई.’’

न्यायालय ने यह आदेश वर्ष 1996 में अपने ससुराल में फांसी से लटकी पाई गई एक महिला के ससुराल पक्ष के कुछ लोगों को बरी करते हुए दिया.

(इनपुट भाषा से)

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