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सुप्रीम कोर्ट ने कहा, समय से पहले बजट पेशी रोकने का कानून नहीं

सरकार इस बार आम बजट को फरवरी के अंत में पेश करने के बजाए एक फरवरी को पेश करने जा रही है.

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय बजट पेश करने को लेकर चल रहे मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की.

पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव के कारण केंद्रीय बजट पेशी को रोकने के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि- इसे रोकने का कोई कानून नहीं है.

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चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर और जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ की बेंच ने याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा से कहा, ‘‘हमें बतायें कि किन प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है. सरसरी तौर पर कहें तो हमें याचिका के समर्थन में कोई सामग्री नहीं मिली है.''

आप समय लगाकर ‘पुख्ता’ तैयारी कीजिये और फिर अपनी याचिका के समर्थन में तथ्यों के साथ आइये.
सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने इसके साथ ही याचिका की सुनवाई 20 जनवरी के लिये स्थगित कर दी.

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इससे पहले,कोर्ट ने इस याचिका पर जल्दी सुनवाई करने का अनुरोध ठुकरा दिया था.

  • याचिका में बीजेपी के ‘कमल' चुनाव चिह्न को कैंसल करने का अनुरोध किया गया है.
  • चुनाव खत्म होने तक केंद्रीय बजट में किसी भी तरह के राहत कार्यक्रम की घोषणा करने से रोक लगाने की गुजारिश की गई है.
  • याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को साल 2017-18 का केंद्रीय बजट पेश करने की कार्यवाही स्थगित करने का निर्देश दिया जाये.
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केंद्रीय बजट एक फरवरी को पेश किये जाने का प्रस्ताव है.

निर्वाचन आयोग ने चार जनवरी को पांच राज्यों में विधान सभा चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा की थी. केंद्र सरकार पहले ही संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से बुलाने और इसके अगले दिन साल 2017-18 का केंद्रीय बजट पेश करने का फैसला कर चुकी थी.

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