सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मेडिकल कॉलेज की सुविधाओं को लेकर राज्य सरकार को जमकर लताड़ लगाई है. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में अगर इंफ्रास्ट्रक्चर खराब होगा, तो फिर मरीजों का क्या होगा, उनका इंसानों की तरह इलाज करें, वो जानवर नहीं हैं. कोर्ट ने ये भी कहा कि इन कॉलेजों से आधे अधूरे डॉक्टर तैयार करना बंद करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने ऐसी टिप्पणी क्यों की?
दरअसल, बिहार के तीन मेडिकल कॉलेजों में जरूरी सुविधाए नहीं होने के कारण मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने दाखिले पर रोक लगा दी थी. इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई और भरोसा दिया कि कॉलेजों में सारे संसाधन तीन महीने के भीतर मुहैया करा दिए जाएंगे. इसी मामले की सुनवाई में ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को आइना दिखाया है. हालांकि, कोर्ट ने छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए एमबीबीएस की सीटों पर एडमिशन की अनुमति दे दी है.
12 जून को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे मेडिकल कॉलेज
मेडिकल एजुकेशन में गुणवत्ता सुधारने के लिए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने बिहार के बेतिया, पावापुरी और गया मेडिकल कॉलेज पर रोक लगाई थी. 12 जून को ये मेडिकल कॉलेज सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. 14 जून को कोर्ट ने सुनवाई के दौरान बिहार सरकार से हलफनामा देने के लिए कहा था कि इन कॉलेजों में संसाधनों की कमी कब तक दूर हो सकेगी.
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