सुप्रीम कोर्ट ने फिर से इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश पर रोक लगा दी है. पिछले कुछ दिनों में सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कई आदेशों को पलटा है. मंगलवार 25 मई को SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को नकार दिया, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि कोविड-19 महामारी के दौरान मौत की आंशका अग्रिम जमानत का आधार हो सकती है.
इससे पहले उत्तर प्रदेश में हेल्थ सिस्टम और 5 शहरों में लॉकडाउन से जुड़े इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके बाद उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी.
कोरोना से मौत की आशंका अग्रिम जमानत का आधार नहीं हो सकती-SC
10 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तारी का सामना कर रहे प्रतीक जैन की याचिका पर सुनावई करते हुए कहा था कि कोरोनाकाल के दौरान मौत की आशंका अग्रिम जमानत का आधार हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच के जस्टिस विनीत सारान और बी आर गवाई ने कहा कि कोरोना से मौत होने की आशंका को देखते हुए किसी को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है. इसके लिए अपराध के स्वरूप और गंभीरता पर विचार करना जरूरी है.
यूपी सरकार ने HC के आदेश को SC में दी थी चुनौती
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. यूपी सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा.
यूपी सरकार ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि जो व्यक्ति कोरोना से मौत होने की आशंका के आधार पर अग्रिम जमानत मांग रहा है उसके खिलाफ 130 आपराधिक केस दर्ज हैं.
पहले भी SC ने पलटे इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश
पिछले कुछ दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कुछ अहम आदेशों पर रोक लगाई और उन्हें पलट दिया. ये सभी आदेश हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को दिए थे.
17 मई को यूपी में कोरोना महामारी के चलते बदहाल स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तल्ख टिप्पणी की थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि राज्य का पूरा मेडिकल सिस्टम ही राम भरोसे है. साथ ही यूपी सरकार को आदेश दिया था कि प्रदेश के सभी नर्सिंग होम में बेड्स पर ऑक्सीजन की सुविधा होनी चाहिए और सभी गांवों में एक महीने के अंदर कम से कम 2 एंबुलेंस ICU की सुविधा के साथ होनी चाहिए.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. जहां सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे लगाते हुए कहा कि हाईकोर्ट्स को ऐसे आदेश देने से बचना चाहिए, जिन्हें लागू करना पूरी तरह से मुश्किल हो.
वहीं 26 अप्रैल को उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी और राज्य के 5 शहरों में लॉकडाउन लगाने का आदेश दिया था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि.. अगर एक लोकप्रिय सरकार अपनी राजनीतिक मजबूरियों के चलते महामारी के दौरान जारी गतिविधियों पर कदम नहीं उठा सकती है, तो हम सिर्फ दर्शक बनकर नहीं रह सकते हैं.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश को यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. जिस पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी.
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