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पेगासस जासूसी: SC ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा गठित आयोग को जांच से रोका

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जांच आयोग को नोटिस भी जारी किया है.

Published
भारत
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पेगासस स्नूपिंग केस (Pegasus Snooping Case) की जांच करवा रही पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाले आयोग की जांच पर रोक लगा दी है.

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न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस एनवी रमन, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली की पीठ ने इस बात को संज्ञान में लिया कि पश्चिम बंगाल सरकार के जांच आगे नहीं बढ़ाने के आश्वासन के बाद भी आयोग ने अपना कामकाज जारी रखा.सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस लोकुर और कलकत्ता हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ज्योतिर्मय भट्टाचार्य पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा पेगासस मामले की जांच के लिए बनाए गए आयोग के सदस्य हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने जांच जारी रखने को लेकर जताई नाराजगी

लाइव लॉ वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई रमना ने पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश हो रहे वकील अभिषेक मनु सिंघवी से आश्वासन के बाद भी जांच जारी रखने को लेकर नाराजगी जताई. जस्टिस रमना ने कहा, ''मिस्टर सिंघवी ये क्या है? पिछली बार आपने इसे लेकर अंडरटेकिंग दी थी, हम रिकॉर्ड में डालना चाहते थे लेकिन आपने मना किया, लेकिन अब फिर आपने जांच शुरू कर दी है.''

मैंने कहा था कि मेरा कमिशन पर कोई नियंत्रण नहीं है, मैं इस बात को आगे बढ़ा दूंगा, जो कि मैंने किया. प्लीज उनके वकील को बुलाइए और आदेश पारित कीजिए, एक राज्य के तौर पर मैं कमिशन को रोक नहीं सकता हूं.
सुप्रीम कोर्ट में पश्चिम बंगाल सरकार के वकील अभिषेक मनु सिंघवी
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NGO ने दायर की थी याचिका

इसके बाद बेंच ने जांच आयोग को नोटिस जारी करते हुए आगे की जांच पर रोक लगा दी. दरअसल, ग्लोबल विलेज फाउंडेशन चैरिटेबल ट्रस्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की जांच के खिलाफ सुनवाई को लेकर याचका दायर की थी, जिसपर शीर्ष अदालत की तरफ से यह आदेश आया है.

इसी साल 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए 3 सदस्यीय पैनल बनाने का ऐलान किया था. इसलिए इसी का हवाला देकर पश्चिम बंगाल सरकार के द्वारा गठित आयोग की जांच को रोकने की गुहार एनजीओ की तरफ से लगाई गई है.

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