भारती एयरटेल (Bharti Airtel) को 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से अस्थायी राहत मिली है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि टेलीकॉम कंपनी की बैंक गारंटियों को तीन हफ्ते तक कैश नहीं कराया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट का ये निर्देश वीडियोकॉन का AGR बकाया (Videocon Dues) न चुकाने के संबंध में आया है.
एयरटेल ने 2016 में वीडियोकॉन टेलीकम्यूनिकेशन के साथ स्पेक्ट्रम खरीदने के लिए 4428 करोड़ की डील की थी. एयरटेल ने बिहार, हरियाणा, मध्य प्रदेश, यूपी (पूर्व), यूपी (पश्चिम) और गुजरात में वीडियोकॉन का स्पेक्ट्रम खरीदा था.
वीडियोकॉन को डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्यूनिकेशन (DoT) को 1,376 करोड़ का AGR चुकाना था. स्पेक्ट्रम डील के बाद डिपार्टमेंट ने AGR बकाया भारती एयरटेल से मांगा था.
एयरटेल ने क्या दलील दी?
24 अगस्त को एयरटेल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि AGR बकाया 'वीडियोकॉन की देयता थी, एयरटेल की नहीं.' एयरटेल की तरफ से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा, "DoT की मांग वैध नहीं है क्योंकि ये वीडियोकॉन की देयता से जुड़ी है."
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने सितंबर 2020 के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि 'हम उस फैसले की समीक्षा नहीं करेंगे.' पिछले साल कोर्ट ने कहा था कि स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग गाइडलाइन के मुताबिक AGR बकाया लाइसेंस के ट्रेड से पहले पूरा होना चाहिए और विक्रेता नहीं दे पाएगा तो खरीदार को देना होगा.
आगे क्या होगा?
जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने DoT को पहले दो हफ्ते तक बैंक गारंटी कैश न कराने का निर्देश दिया था. एयरटेल के एक महीने का समय मांगने पर आखिरकार समझौता तीन हफ्ते का हुआ.
सुप्रीम कोर्ट के स्थायी राहत देने से इनकार के बाद भारती एयरटेल ने अपनी याचिका वापस ले ली है. कंपनी अब DoT में समीक्षा के लिए अपील करेगी.
मौजूदा समय में अगर कोई टेलीकॉम कंपनी तिमाही लाइसेंस या स्पेक्ट्रम-संबंधी बकाया चुकाने में असफल रहती है तो DoT के पास पड़ी उसकी बैंक गारंटी को कैश कराया जाता है.
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