बार-बार नफरत और झूठ फैलाने वाले सुदर्शन टीवी (Sudarshan TV) के संपादक सुरेश चव्हाणके (Suresh Chavhanke) ने एक बार फिर विवादित बयान दिया है. इस बार चव्हाणके ने मीणा समाज को लेकर अपशब्द कहा है. इसी को देखते हुए पुलिस ने सुरेश चव्हाणके के खिलाफ आदिवासियों और मीणा समुदायों की भावनाओं को आहत करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है.
राजस्थान आदिवासी मीणा सेवा संघ के सदस्य गिरिराज मीणा ने राजस्थान के जयपुर स्थित ट्रांसपोर्ट नगर थाने में यह एफआईआर दर्ज कराई है. एफआईआर में कहा गया है कि 24 जुलाई की शाम को सुदर्शन टीवी पर सुरेश चव्हाणके ने पूरे आदिवासी समुदाय को गाली दी थी.
एफआईआर में कहा गया है कि चव्हाणके और दूसरे लोग एक साजिश के तहत धार्मिक उन्माद फैलाना चाहते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने के लिए अराजकता और दंगे फैलाना चाहते हैं.
इस मामले में आईटी अधिनियम की धारा 67 के साथ आईपीसी की धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को चोट पहुंचाना या अपवित्र करना) और 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है. और एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 21 जुलाई को अमागढ़ किले से केसरिया झंडे को नीचे उतार दिया गया था, झंडे को नीचे उतारे जाने के बाद मीणा समुदाय और हिंदू संगठनों के बीच विवाद शुरू हुआ, हिंदू संगठनों ने आरोप लगाया था कि मीणा समुदाय ने इस झंडे को नीचे उतारा है. इस मामले में निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा ने आरोप लगाया था कि हिंदू संगठन आदिवासी संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं. वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने इस मुद्दे पर विधायक रामकेश की आलोचना की और कहा है कि मीणा हिंदू समुदाय से जुड़े हैं.
इसी विवाद पर सुरेश चव्हाणके ने अपने चैनल के एक कार्यक्रम किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. वायरल वीडियो में चव्हाणके ने राजस्थान की “मीणा जनजाति” के बारे में अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया. साथ ही चव्हाणके ने ट्विटर पर कहा कि वह एक अगस्त को अमागढ़ जाएंगे, भगवा झंडा फहराएंगे और इसे अपने चैनल पर प्रसारित करेंगे.
वहीं दूसरी ओर मीणा संगठनों ने कहा था कि किसी को भी स्थल पर भगवा झंडा फहराने की इजाजत नहीं दी जाएगी. इस मामले पर जयपुर पुलिस ने कहा है कि अमागढ़ किले के पास की जमीन वन विभाग की है और किसी को भी वहां जाने और कानून-व्यवस्था की स्थिति को प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
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