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असंगठित क्षेत्र के मजदूरों पर सर्वे, नई रोजगार नीति को लेकर कवायद

केंद्र सरकार 5 प्रकार के सर्वे के जरिए जुटाएगीआंकड़े

Published
भारत
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मोदी सरकार देश में पहली बार पांच तरह का ऐसा सर्वे करा रही है, जिसके बाद देश में प्रवासी मजदूरों से लेकर घरों में काम करने वाले कामगारों के सटीक आंकड़े भी पता चलेंगे. इतना ही नहीं, देश में प्रोफेशनल, कितनी नौकरियां अपने दम पर पैदा कर रहे हैं, ट्रांसपोर्ट सेक्टर कितनी लोगों की रोजी-रोटी चला रहा है, इसकी भी सही तस्वीर देश के सामने आएगी.

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देश भर में ढाई हजार स्टाफ के साथ इस सर्वे को करने में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का लेबर ब्यूरो युद्ध स्तर पर जुटा है. पहली बार इस सर्वे से देश में सर्वाधिक रोजगार देने वाले अनआर्गनाइज्ड सेक्टर के आंकड़े भी सरकार को मिलेंगे.

केंद्र सरकार करा रही है 5 प्रकार के सर्वे

  1. प्रवासी श्रमिकों का अखिल भारतीय सर्वेक्षण
  2. घरेलू कामगारों के बारे में अखिल भारतीय सर्वेक्षण
  3. पेशेवरों द्वारा सृजित रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण
  4. परिवहन के क्षेत्र में सृजित रोजगार का अखिल भारतीय सर्वेक्षण
  5. अनआर्गनाइज्ड सेक्टर में अखिल भारतीय त्रैमासिक सर्वेक्षण
लेबर ब्यूरो के महानिदेशक(डीजी) और वर्ष 1985 बैच के इंडियन इकोनॉमिक सर्विस के अफसर डीपीएस नेगी ने आईएएनएस से विशेष बातचीत में बताया, “पांच तरह के सर्वे पूरा होने के बाद देश में रोजगार की सही तस्वीर पता चलेगी. कोई भी सरकारी पॉलिसी बनाने में आंकड़े चाहिए होते हैं. इन सर्वे से हमारे पास प्रवासी मजदूरों से लेकर घरेलू कामगारों और अनआर्गनाइज्ड सेक्टर में पैदा हो रहे रोजगार के सही आंकड़े मिलेंगे. जिसके बाद केंद्र सरकार को आगे नई रोजगार पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी.”

श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में एडिशनल सेक्रेटरी रैंक के अफसर डीपीएस नेगी ने आईएएनएस को बताया कि एक अप्रैल से फील्ड सर्वे शुरू हो चुका है. उन्होंने कहा, "अभी हमारा फोकस प्रवासी मजदूरों और दस या दस से अधिक मजदूरों वाले संस्थानों के बारे में पता लगाने के लिए अखिल भारतीय त्रैमासिक सर्वेक्षण पर है. इसके बाद अन्य तीन तरह के सर्वे को फेजवाइज पूरा करेंगे. सभी पांचों तरह के सर्वे अगले सात महीनों यानी नवंबर तक पूरा करने की कोशिश है. सर्वे के साथ आंकड़ों का टेबल बनाने का काम भी होगा."

क्या फिर से कोरोना का खतरा शुरू होने पर सर्वे बाधित नहीं होगा? इस सवाल पर लेबर ब्यूरो के महानिदेशक ने कहा, "कुछ राज्यों में सिर्फ नाईट कर्फ्यू लगा है. हमारा सर्वे का काम दिन में होता है. ऐसे में फील्ड सर्वे पर प्रभाव पड़ने की आशंका कम है. अगर कोई समस्या आएगी तो फिर देखी जाएगी. फिलहाल सर्वे चल रहा है."

खास बात है कि मोदी सरकार इस सर्वे में अंतरराष्ट्रीय स्तर के अर्थशास्त्री और सांख्यिकीविदों की भी मदद ले रही है. डॉ एसपी मुखर्जी और डॉ अमिताभ कुंडू के निर्देशन में एक्सपर्ट कमेटी ने इस पूरे सर्वे की डिजाइन की है. मसलन, सर्वे के सवालों, सैंपल साइज, गाइडलाइंस आदि को यही एक्सपर्ट कमेटी तय करती है. लेबर ब्यूरो के महानिदेशक के मुताबिक, एक्सपर्ट कमेटी की कुल 46 बैठकों के बाद पांच तरह के अखिल भारतीय सर्वे की पूरी रणनीति तैयार हुई.

अखिल भारतीय सर्वे के लिए लेबर ब्यूरो की ओर से पिछले 24 से 26 मार्च तक सर्वे करने वाली टीमों को ट्रेनिंग दी गई थी. इससे पहले चंडीगढ़ में भी प्रशिक्षण हो चुका है. अब 12 अप्रैल से पांच दिनों तक सर्वे कार्य में लगे सभी ढाई हजार स्टॉफ की ऑनलाइन ट्रेनिंग भी होने जा रही है. नवंबर में सर्वे पूरा होने के बाद श्रम एवं रोजगार मंत्रालय रिपोर्ट तैयार करेगा. माना जा रहा है कि इसके बाद केंद्र सरकार एक व्यापक रोजगार नीति देश के सामने लेकर आएगी.

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