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एवरेस्ट पर ‘जाम’ से मौतें, इंडियन पर्वतारोही ने बताया बचने का उपाय

इस ट्रैफिक जाम से इस साल 11 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है

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दुनिया का सबसे ऊंचा पहाड़ भी अब शहरों की सड़कों की तरह ‘ट्रैफिक जाम’ से बच नहीं पा रहा. यहां पर भी 'ट्रैफिक जाम' के चलते मौत होने लगी हैं. इस ट्रैफिक जाम से इस साल 11 पर्वतारोहियों की मौत हो गई है. इससेे बचकर आई एक भारतीय पर्वतारोही ने अपनी आपबीती सुनाई है और बताया है कि ये जाम क्यों लग रहा है?

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इस ‘ट्रैफिक जाम’ की वजह है खराब मौसम में पर्वतारोहियों का रास्ते में अटक जाना. लंबे समय तक ठंड में एक जगह खड़ा रहने और ऑक्सीजन की कमी से पर्वतारोही मौत के शिकार हुए हैं.

मरने वालों में भारत के चार पर्वतारोही शामिल हैं. बाकी पर्वतारोही अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और नेपाल के थे.

एवरेस्ट पर लगे ट्रैफिक जाम से बच कर आईं अमीषा चौहान के मुताबिक ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि एवरेस्ट पर जाने के लिए नौसिखियों को भी परमिट दी जा रही है. इससे वहां कैपिसिटी से ज्यादा भीड़ हो रही है. वो कहती हैं - ‘जिन पर्वतारोहियों को क्लाइम्बिंग के बेसिक स्किल्स नहीं मालूम, उनके ऊंचाई पर जाने से बैन कर देना चाहिए.’

इस सीजन नेपाल ने 381 परमिट जारी किए हैं जिनमें ढंग से सौ लोगों ने भी ट्रेनिंग नहीं ली है. इस फैसले से उनकी खुद की जान तो खतरे में पड़ती ही है, साथ ही शेरपा, गाइड की भी जान जोखिम में पड़ जाती है. मैंने लोगों को देखा है जिन्हें इस बारे में बिलकुल जानकारी नहीं होती और वो पूरी तरह अपने गाइड पर निर्भर रहते हैं.
अमीषा चौहान, भारतीय पर्वतारोही

अपनी लापरवाही से भी गई जान

अमीषा बताती हैं कि कुछ लोगों की जान खुद की लापरवाही से गई है, तो कुछ की जान सही समय पर मदद ना मिलने से. पैर फिसलने से गिरे एक भारतीय पर्वतारोही को 12 घंटे तक मदद नहीं मिली. जब उसे रेस्क्यू किया गया तब तक देर हो चुकी थी और कैंप तक लाते लाते उसकी मौत हो गई. वहीं 55 वर्ष के ट्रैकर डोनाल्ड लिन कैश ने तस्वीरें लेते समय लापरवाही के चलते जान गंवा दी. 29 वर्षीय अमीषा बताती है की उन्हें 8,848 मीटर (29,029-फुट) की चोटी से नीचे आने के लिए मात्र 20 मिनट इंतजार करना पड़ा, वहीं बाकी लोग घंटों तक अपनी बारी का इंतजार करते रहे. ओवरक्राउडिंग की वहज से हर साल कम से कम चार मौत होती हैं.

अमीषा इस समय काठमांडू के जनरल अस्पताल में भर्ती हैं. उनके बाएं पैर के सभी अंगूठे काले-नीले पड़ चुके हैं. अमीषा का कहना है कि सिर्फ प्रशिक्षित पर्वतारोहियों को ही एवरेस्ट पर चढ़ने का परमिट मिलना चाहिए.

कनाडियन फिल्ममेकर एलिया सैकली ने भी अपनी एक पोस्ट में दिखाया कि किस तरह एवरेस्ट पर ट्रैफिक जाम लग रहा है. उन्होंने ये भी दिखाया कि लोग ट्रैक पर आगे बढ़ने के लिए डेड बॉडी के ऊपर से गुजर रहे हैं.

सैकली ने एक फोटो भी शेयर किया था जिसमे लोग लम्बी लाइन में लगे थे और आगे बढ़ने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे है. उसी फोटो में एक डेड बॉडी सेफ्टी रोप से लटकी हुई है. उन्होंने इसे डेथ का नाम दिया था. ये बॉडी किसकी है, अभी तक ये पता नहीं चल पाया है.

सैकली ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा, "मैं जब एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचा तो वहां मौत का नजारा देखने को मिला. रास्ते और कैंप में शव बिखरे पड़े थे." सैकली कहते हैं कि पर्वतारोहण एक कारोबार बन चुका है. बता दें कि नेपाल ने इस सीजन में एवरेस्ट पर चढ़ाई के परमिट का 11 हजार डॉलर वसूला.

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